चंडीगढ़ में कांग्रेस की सोशल मीडिया चेयरपर्सन सुप्रिया श्रीनेत ने कहा मनरेगा को खत्म करने पर कांग्रेस ने मोदी सरकार की निंदा की देश के गरीबों के साथ घोर अन्याय: राजा वड़िंग
चंडीगढ़ में कांग्रेस की सोशल मीडिया चेयरपर्सन सुप्रिया श्रीनेत ने कहा मनरेगा को खत्म करने पर कांग्रेस ने मोदी सरकार की निंदा की देश के गरीबों के साथ घोर अन्याय: राजा वड़िंग
खबर खास, चंडीगढ़ :
कांग्रेस ने केंद्र की मोदी सरकार पर अधिकार आधारित महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) को खत्म करने का आरोप लगाते हुए कड़ी निंदा की है। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि इस फैसले से देश के गरीबों और हाशिये पर खड़े वर्गों के कानूनी अधिकार और रोजगार की गारंटी छीनी गई है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए, पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग और एआईसीसी सोशल मीडिया एवं डिजिटल प्लेटफॉर्म विभाग की चेयरपर्सन सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि यह फैसला गरीबों, दलितों, आदिवासियों, पिछड़े वर्गों और महिलाओं पर सुनियोजित हमला है।
राजा वड़िंग ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शुरू से ही मनरेगा से नफरत रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि नए कानून वीबी जीरामजी के तहत राज्यों की हिस्सेदारी 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 40 प्रतिशत कर दी गई है, जिससे मनरेगा की मूल भावना खत्म हो गई है।
उन्होंने कहा कि पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार पहले ही 10 प्रतिशत हिस्सेदारी देने में असफल रही है, तो वह 40 प्रतिशत बोझ कैसे उठाएगी। वड़िंग ने मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा इस मुद्दे पर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की घोषणा का स्वागत करते हुए उम्मीद जताई कि केंद्र सरकार का सामना करने के लिए ठोस प्रस्ताव लाए जाएंगे।
सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि मनरेगा एक मांग-आधारित अधिकार था, जिसमें हर व्यक्ति को 100 दिन का काम मांगने का हक था और काम न मिलने पर मुआवज़े का प्रावधान था। उन्होंने कहा कि इस योजना ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत किया, ग्रामीण गरीबी में करीब 26 प्रतिशत की कमी लाई और कोविड महामारी के दौरान ग्रामीण गरीबों के लिए जीवनरेखा साबित हुई।
उन्होंने जोर देते हुए, कहा कि इस फैसले से महिलाएं सबसे ज्यादा प्रभावित होंगी, क्योंकि मनरेगा के तहत लगभग 50 प्रतिशत रोजगार महिलाओं को मिला था।
सुप्रिया श्रीनेत ने आरोप लगाया कि सरकार ने कानून से महात्मा गांधी का नाम हटाकर बड़ा पाप किया है। उन्होंने कहा कि गांधी केवल कानून का नाम नहीं, बल्कि भारत की आत्मा हैं। साथ ही उन्होंने धार्मिक प्रतीकों के राजनीतिक उपयोग पर भी सरकार की आलोचना की।
कांग्रेस नेताओं ने कहा कि मनरेगा 2005 में संसद में सभी दलों के समर्थन से पारित हुआ था, जबकि नया कानून बिना किसी परामर्श के लाया गया है। उन्होंने चेतावनी दी कि यह कदम अत्यधिक केंद्रीकरण और राज्यों पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ बढ़ाएगा।
उन्होंने भाजपा सरकार के इस दावे का भी मजाक उड़ाया कि नए कानून में 125 दिन के काम की गारंटी होगी, जबकि भाजपा शासन में औसतन केवल 42 दिन प्रति वर्ष ही काम मिला है।
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