जन जागरूकता और जन भागीदारी से दो साल में लखनऊ नगर निगम बना देशभर में अव्वल
वेस्ट से बेस्ट पॉलिसी अपनाकर पुणे बना शहरी निकाय का बेहतरीन उदाहरण
इंदौर अब क्लीन सिटी से ग्रीन और डिजिटल सिटी बनने की ओर अग्रसर
शहरी निकायों के अध्यक्षों के राष्ट्रीय सम्मेलन में प्रस्तुत की गई देश भर की बेस्ट प्रेक्टिस
खबर खास, चंडीगढ़ :
लखनऊ, पुणे और इंदौर नगर निगम का नाम सर्वोत्तम शहरी निकायों की सूची में शामिल है। मानेसर में आयोजित प्रथम शहरी निकायों के अध्यक्षों के राष्ट्रीय सम्मेलन में इन निकायों के जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों ने अन्य राज्यों के साथ सर्वोत्तम अभ्यास (बेस्ट प्रेक्टिस) साझा किए।
इसमें लखनऊ ने डीजल पट्रोल की जगह कूड़ा एकत्रित करने के लिए ई-व्हीकल का उपयोग, विस्तृत क्षमता के कूड़ा निस्तारण प्लांट, डंपिंग प्वाईंट को राष्ट्रीय प्रेरणा स्थल में परिवर्तित करने जैसी पहल साझा की। पुणे ने वेस्ट मैनेजमेंट कलेक्शन, वार्ड वाइज लगाए गए बायोगैस सेंटर से इलेक्ट्रिसिटी उत्पादन, इंदौर ने कूड़ा कलेक्शन गाडिय़ों के जीपीएस सिस्टम, सफाई मित्र और स्वच्छता में जनभागीदारी के उदाहरण साझा किए।
लखनऊ महापौर सुषमा खरकवाल ने बताया कि 2047 के विकसित भारत की नींव मजबूत और सुदृढ शहरी निकाय पर आधारित है इसमें नागरिक जागरूकता और सहभागिता के साथ सक्षम प्रतिनिधियों का मुख्य स्थान है। उन्होंने कहा कि लगभग 50 लाख की आबादी के बावजूद लखनऊ जीरो वेस्ट शहर बनकर उभरा है। यहां मियावाकी तकनीक से सिटी फॉरेस्ट बनाए गए है। सडक़ों की सफाई के लिए मैकेनिकल स्वीपर उतारे गए है। टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए मैंगों म्यूजियम पार्क जैसे नेचर ट्रेल विकसित किए जा रहे है। कुरेत नदी के किनारे 20 हजार से अधिक पेड़ लगाकर एक पेड़ मां के नाम राष्ट्रीय मुहिम में योगदान दिया है।
वेस्ट से बेस्ट पॉलिसी अपनाकर पुणे बना शहरी निकाय का बेहतरीन उदाहरण
पुणे में 2007 से अपनाई जा रही वेस्ट मैनेजमेंट रणनीति से स्थानीय लोगों की रोजमर्रा जिंदगी में लाभदायक परिणाम देखने को मिल रहे है। पुणे नगर निगम कमिश्नर पुनीत राज और वार्ड पार्षदों ने यहां के वेस्ट मैनेजमेंट कलेक्शन और वार्ड वाइज लगाए गए बायोगैस सेंटर से इलेक्ट्रिसिटी उत्पादन के उदाहरण मंच पर रखे। इसी के साथ वार्ड सभा में जरूरी संशोधन के बाद स्लम को घर में तब्दील करने के सफल उदाहरण गिनवाएं। इसी तरह लाइट हाउस मॉडल पीपीपी के जरिए सफल बनाने की इबारत भी इस मंच पर साझा की। सतत विकास का अनोखा उदाहरण पेश करते हुए पुणे में शुरू की गई ट्री-एम्बुलेंस और कॉल सेंटर के अलावा स्मार्ट वॉटर मीटर और सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए कॉपरेटिव के तहत अपनाई स्वच्छ पहल सभी के साथ साझा की।
इसी तरह 26 ट्रिपल आर सेंटर बनाए गए है। यहां अनुपयोगी वस्तुओं को जरूरतमंद लोगों के लिए रखा जाता है। इसी तरह सिबरी और गहला नामक स्थान पर बीते 20 सालों में एकत्रित कूड़े के पहाड़ को मात्र दो साल में जनभागीदारी जागरूकता और कूड़ा निस्तारण की सही कार्यशैली से निस्तारित किया गया है। कूड़ा डंपिंग प्वाइंट को टूरिज्म हब के रूप में विकसित करने का प्रयास राष्ट्रीय प्रेरणा स्थल के रूप में उभरा है। यहां राष्ट्रीय जनप्रतिनिधियों की मूर्तियां लगाई गई है। उन्होंने बताया कि निगम और प्रशासनिक सहयोग से शहर की सूरत बदली है।
इंदौर अब क्लीन सिटी से ग्रीन और डिजिटल सिटी बनने की ओर अग्रसर
दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के सत्र में इंदौर के मेयर पुष्यमित्र भार्गव व आयुक्त शिवम वर्मा की टीम ने शहर के स्वच्छता में नंबर एक का खिताब बरकरार रखने का मूल मंत्र देशभर से आए नगर निकायों के सदस्यों के साथ साझा किया। उन्होंने कहा कि 85 वार्डों के शहर इंदौर में हर व्यक्ति सफाई के प्रति जागरूक है। सभी लोग अपने घरों की सफाई की तरह अपने मोहल्लों, गली और आस-पास के क्षेत्र में भी सफाई व्यवस्था की पूरी तरह जिम्मेदारी निभा रहे हैं। शहर की पूरी सफाई की जिम्मेदारी का दायित्व सफाई मित्र बखूबी रूप से निभा रहे हैं।
वहीं स्थानीय प्रशासन की ओर से स्वच्छता कार्य की पूर्ण रूप से मॉनिटरिंग भी की जाती है। प्रत्येक गाड़ी में जीपीएस सिस्टम लगा हुआ है। कोई भी कचरा गाड़ी 10 मिनट भी लेट होने पर संबंधित ड्राइवर से जवाब-तलब किया जाता है। उन्होंने कहा कि शहर को स्वच्छ रखने के लिए प्रशासन की ओर से सख्ती की जाती है, जिसके परिणाम स्वरूप मात्र एक वर्ष में नियमों की अवहेलना करने वालों पर डेढ़ करोड़ रुपए से अधिक का जुर्माना लगाया गया है।
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