कहा, सरकार को ऐसे फैसले लेने से पहले छात्रों, शिक्षकों और बुद्धिजीवियों से गहराई से चर्चा करनी चाहिए
कहा, सरकार को ऐसे फैसले लेने से पहले छात्रों, शिक्षकों और बुद्धिजीवियों से गहराई से चर्चा करनी चाहिए
खबर खास, मोहाली :
केंद्र सरकार की ओरे से 28 अक्तूबर को जारी किए गए अपने नोटिफिकेशन, जिसमें पंजाब यूनिवर्सिटी की सीनेट और सिंडिकेट को भंग करने का आदेश दिया गया था, को वापस लेने और नोटिफिकेशन रद्द करने के फैसले को वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पंजाब के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू ने पंजाब, पंजाबी अस्मिता और छात्रों के संघर्ष की बड़ी जीत बताया। उन्होंने इस पूरे मुद्दे पर छात्रों, बुद्धिजीवियों और राजनीतिक दलों द्वारा दिखाई गई एकजुटता की सराहना की।
सिद्धू ने कहा कि यह फैसला पंजाबी अस्मिता और जनभागीदारी की जीत है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों से संबंधित प्रशासनिक निर्णय शिक्षा की स्वायत्तता और पारदर्शिता से जुड़े होते हैं, इसलिए सरकार को ऐसे किसी भी निर्णय से पहले छात्रों, शिक्षकों और बुद्धिजीवियों से गहन विचार-विमर्श करना चाहिए। उन्होंने कहा कि थोपे गए निर्णय न केवल छात्रों को प्रभावित करते हैं बल्कि विश्वविद्यालय की शिक्षा और उसकी सांस्कृतिक छवि को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं।
सिद्धू ने जोर देकर कहा कि ऐसे मामलों में सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन को मिलकर संतुलित और पारदर्शी नीतियाँ बनानी चाहिए, जिनमें छात्रों के भविष्य और प्रगति का ध्यान रखा जाए। उन्होंने कहा कि यह मामला केवल पंजाब यूनिवर्सिटी तक सीमित नहीं है, बल्कि देश की सभी शैक्षणिक संस्थाओं के लिए एक उदाहरण है कि जनभागीदारी और संवाद के बिना लिए गए सरकारी निर्णय लंबे समय तक टिक नहीं पाते।
इस विरोध और संघर्ष के बाद केंद्र सरकार ने अपना फैसला वापस लिया और नोटिफिकेशन रद्द कर दिया, जिसे अब छात्रों, बुद्धिजीवियों और पंजाब की राजनीतिक बिरादरी द्वारा एक जीत के रूप में देखा जा रहा है। सिद्धू ने कहा कि यह जीत केवल पंजाब यूनिवर्सिटी की नहीं, बल्कि देशभर की सभी शैक्षणिक संस्थाओं के लिए एक मिसाल है।
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