कहा, केंद्र सरकार भ्रम फैलाने की कर रही कोशिश
कहा, केंद्र सरकार भ्रम फैलाने की कर रही कोशिश
खबर खास, चंडीगढ़ :
पंजाब विवि में सीनेट और सिंडिकेट भंग करने के फैसले को केंद्र सरकार ने भले ही वापस लेते हुए आज नोटिफिकेशन जारी किया। लेकिन सरकार ने अपने फैसले को रद्द नहीं बस स्थगित किया है। केंद्र ने दो नोटिफिकेशन जारी किए हैं।
इसे लेकर छात्र संगठनों का कहना है कि पंजाब विश्वविद्यालय के संबंध में भारत सरकार ने अपनी हालिया अधिसूचनाओं से सबको गुमराह करने की कोशिश की है। वास्तव में, कोई अधिसूचना रद्द नहीं की गई है, बल्कि उसे वापस लेने का भ्रम पैदा किया गया है।
छात्र संगठनों ने कहा कि केंद्र सरकार ने सबसे पहले अधिसूचना संख्या 4867(ई) को निरस्त कर दिया और तुरंत एक नई अधिसूचना 4868 (ई) जारी कर दी। इस नई अधिसूचना में केवल इतना बदलाव किया गया है कि नए सीनेट ढांचे का कार्यान्वयन, जो पहले तुरंत प्रभावी होना था, अब केंद्र के अगले आदेश तक स्थगित कर दिया गया है।
यूनियन ने कहा कि इसका मतलब है कि नई सीनेट संरचना बरकरार है, सिर्फ इसके लागू होने की तारीख आगे बढ़ा दी गई है। सरकार ने अपना फैसला वापस नहीं लिया है, उसने सिर्फ लोगों में भ्रम पैदा करने की कोशिश की है। पंजाब विवि बचाओ मोर्चे ने इसे धोखा करार देते हुए 10 नवंबर को बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन के आह्वान को बरकरार रखा है।
उधर, आम आदमी पार्टी ने केंद्र के नोटिफिकेशन वापस लेने के फैसले पर निशाना साधा। सांसद हरपाल चीमा ने कहा कि सरकार के फैसले का छात्रों के साथ आम जनता भी विरोध कर रही थी। उन्होंने कहा कि आखिरकार सरकार को जनता के आगे झुकना ही पड़ा।
गौर रहे कि आज ही पंजाब सरकार ने भी ऐलान किया था कि वह इसे लेकर जल्दी ही हाईकोर्ट का रुख करेगी। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने एक्स हैंडल पर पोस्ट डालकर कहा था कि पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ की सीनेट और सिंडिकेट को असंवैधानिक रूप से भंग करने और अधिसूचना जारी करने के खिलाफ पंजाब सरकार उच्च न्यायालय जाएगी
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