केंद्र सरकार की पंजाब के लिए घोषित बाढ़ राहत राशि की वित्त मंत्री चीमा ने की कड़ी निंदा
केंद्र सरकार की पंजाब के लिए घोषित बाढ़ राहत राशि की वित्त मंत्री चीमा ने की कड़ी निंदा
खबर खास, चंडीगढ़ :
पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने आज पंजाब विधानसभा के फ्लोर का इस्तेमाल करते हुए जुलाई और अगस्त में राज्यभर में आई विनाशकारी बाढ़ से निपटने में भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की कड़ी आलोचना की।
उन्होंने विशेष तौर पर प्रधानमंत्री को उनके देर से किए गए दौरे, नगण्य वित्तीय सहायता और पठानकोट में मृतकों के परिवारों से न मिलने में असफल रहने के लिए सवाल खड़ा किया। वित्त मंत्री ने इस मौके पर कांग्रेस पार्टी पर भी अवसरवादी राजनीति करने का आरोप लगाया और कहा कि इस संकट के दौरान राज्य का साथ देने के बजाय, पंजाब कांग्रेस नेतृत्व भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के पक्ष में झुकता रहा।
‘पंजाब के पुनर्वास’ पर पारित प्रस्ताव का समर्थन करते हुए वित्त मंत्री चीमा ने अगस्त में कपूरथला जिले में शुरू हुई तबाही और माह के अंत तक आए भीषण बाढ़ का मार्मिक चित्रण प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने राहत और बचाव कार्यों के लिए अपने सभी उपलब्ध संसाधनों को झोंक दिया और ‘आप’ विधायक व मंत्री बाढ़ प्रभावितों की सहायता में निरंतर लगे रहे। लेकिन सवाल यह है कि क्या केंद्र ने संघीय ढांचे में अपनी जिम्मेदारियाँ पूरी कीं?
वित्त मंत्री चीमा ने प्रधानमंत्री के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के दौरे में हुई एक महीने की देरी को रेखांकित किया और इसकी तुलना अफगानिस्तान को दी गई त्वरित राहत से करते हुए इस असमान दृष्टिकोण पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि और भी चिंताजनक बात यह है कि प्रधानमंत्री ने 1600 करोड़ रुपये के मामूली राहत पैकेज की घोषणा तो कर दी, परंतु आज तक पंजाब के खजाने में एक रुपया भी नहीं पहुँचा।
आपदा से हुए गहरे मानवीय नुकसान का जिक्र करते हुए वित्त मंत्री ने 26 अगस्त की हृदयविदारक घटना साझा की जिसमें एक परिवार बुरी तरह प्रभावित हुआ। बाढ़ ने 15 वर्षीय मीनू की जान ले ली और उसके छोटे भाई-बहन, 9 वर्षीय लाडी और 6 वर्षीय लच्छू लापता हो गए। उनके पिता बाग ने न केवल तीन बच्चों को खो दिया बल्कि अपने पालतू पशुओं से भी हाथ धो बैठा। वित्त मंत्री ने जिले के ही 7 वर्षीय साहिल और 12 वर्षीय केशव कुमार का भी उल्लेख किया, जिनकी बाढ़ में मौत हो गई।
प्रधानमंत्री के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के दौरे पर तीखा प्रहार करते हुए वित्त मंत्री ने कहा, “प्रधानमंत्री उस परिवार को ढांढस बंधाने में भी असफल रहे जिसने अपने तीन सदस्य खो दिए और उनका दौरा महज़ फोटो खिंचवाने तक ही सीमित रहा।”
उन्होंने सदन को याद दिलाया कि अगस्त के अंत में पंजाब के मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर बकाया 60,000 करोड़ रुपये जारी करने की मांग की थी। वित्त मंत्री ने चिंता जताई कि प्रधानमंत्री जनता द्वारा चुने गए मुख्यमंत्री से तो नहीं मिलते पर नियुक्त व्यक्तियों से आसानी से मिलते हैं। उन्होंने सदन में भाजपा विधायकों की गैरमौजूदगी पर भी खेद प्रकट किया और कहा कि अगर वे मौजूद होते तो यह स्पष्ट कर सकते थे कि 1600 करोड़ रुपये के राहत पैकेज का क्या हुआ, जबकि उसमें से एक भी पैसा राज्य सरकार को नहीं मिला। उन्होंने कहा, “आज भाजपा का असली चेहरा पूरे देश में बेनकाब हो चुका है।”
वित्त मंत्री ने विपक्ष को अफवाहें फैलाने के लिए भी आड़े हाथ लिया और स्पष्ट किया कि राज्य को मिले 240 करोड़ रुपये दरअसल वित्त वर्ष 2025-26 के लिए आपदा प्रबंधन बजट के अंतर्गत पहले से लंबित 481 करोड़ रुपये का हिस्सा हैं। उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन के लिए आवंटित फंड हर साल मिलते हैं और यदि इनका उपयोग न हो तो इन पर 8.15% ब्याज देना पड़ता है। उन्होंने बताया कि आपदा प्रबंधन अधिनियम 2010 में लागू हुआ था। वर्ष 2017 से 2022 तक केंद्र सरकार ने पंजाब को आपदा प्रबंधन के लिए 2,061 करोड़ रुपये आवंटित किए थे, जिनमें से कांग्रेस सरकार ने 1,678 करोड़ रुपये खर्च किए। आम आदमी पार्टी के कार्यकाल में तीन वर्षों में 1,582 करोड़ रुपये प्राप्त हुए जिनमें से 649 करोड़ रुपये खर्च किए गए।
वित्त मंत्री ने कहा कि आपदा प्रबंधन फंड को लेकर कांग्रेस की बयानबाज़ी पंजाब के हितों के खिलाफ है। कांग्रेस नेताओं की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी शैक्षिक पृष्ठभूमि के हिसाब से उनमें बेहतर आर्थिक समझ होनी चाहिए थी। उन्होंने कांग्रेस पार्टी द्वारा शेर सिंह की बर्खास्तगी की मांग पर सवाल उठाया और पूछा कि क्या यह दलितों के खिलाफ पक्षपात को दर्शाता है।
वित्त मंत्री चीमा ने भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को सख्त चेतावनी देते हुए पंजाब के साथ किया जा रहा “सौतेला व्यवहार” समाप्त करने की अपील की। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि राहत फंड का तत्काल जारी होना एक बुनियादी आवश्यकता ही नहीं बल्कि लाखों पंजाबियों का हक है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा में पंजाब के अहम योगदान और 1962, 1965, 1971 के युद्धों तथा मई में हालिया युद्ध के दौरान दी गई राज्य की बेमिसाल कुर्बानियों को अनदेखा नहीं किया जा सकता। अपने निजी अनुभव साझा करते हुए उन्होंने अपने दिवंगत पिता मेहर सिंह को याद किया, जो भारतीय सेना में सिपाही थे और 1962 तथा 1971 के युद्धों में बहादुरी से लड़े थे।
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