राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने शनिवार को यहां शिमला के एतिहासिक गेयटी थियेटर में आयोजित पुस्तक विमोचन समारोह में डॉ रश्मीश सिंह सपेइया की पुस्तक ‘‘ एन अल्टरनेटिव अपरोच - पंडित दीन दयाल उपाध्याय’’ का विमोचन किया।
राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने शनिवार को यहां शिमला के एतिहासिक गेयटी थियेटर में आयोजित पुस्तक विमोचन समारोह में डॉ रश्मीश सिंह सपेइया की पुस्तक ‘‘ एन अल्टरनेटिव अपरोच - पंडित दीन दयाल उपाध्याय’’ का विमोचन किया।
खबर खास, शिमला :
राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने शनिवार को यहां शिमला के एतिहासिक गेयटी थियेटर में आयोजित पुस्तक विमोचन समारोह में डॉ रश्मीश सिंह सपेइया की पुस्तक ‘‘ एन अल्टरनेटिव अपरोच - पंडित दीन दयाल उपाध्याय’’ का विमोचन किया। यह कार्यक्रम ठाकुर रामसिंह इतिहास शोध संस्थान, नेरी, हमीरपुर द्वारा आयोजित किया गया था।
इस अवसर पर, अपने संबोधन में राज्यपाल ने कहा कि पंडित दीन दयाल उपाध्याय एक दूरदर्शी व्यक्ति थे जिन्होंने अपना जीवन समाज और राष्ट्र के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया। उनका दर्शन ‘‘एकात्म मानव दर्शन’’ या एकात्म मानववाद, विकास के लिए एक समग्र दृष्टिकोण है, जो सांस्कृतिक मूल्यों और परंपराओं का सम्मान करते हुए मनुष्य की भौतिक और आध्यात्मिक आवश्यकताओं को पूरा करता है। उन्होंने कहा कि यह दृष्टिकोण आज की दुनिया में अधिक प्रासंगिक है क्योंकि हम टिकाऊ और समावेशी विकास चाहते हैं।
राज्यपाल ने कहा कि पंडित दीन दयाल उपाध्याय नेएकात्म मानव दर्शन द्वारा मानव के केवल किसी एक आयाम पर ध्यान न देते हुए पूर्ण मानव की अनुभूति करवाई। धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष रूपी पुरुषार्थों को संतुष्ट करते हुए समग्र सुख के विषय में आलौकित किया। उन्होंने कहा था, ‘‘समाज, राष्ट्र, विश्व और ईश्वर सब व्यक्ति के ही आयाम हैं। इनमें आपस में कोई विरोध नहीं।’’ उन्होंने कहा कि उपाध्याय जी का मंत्र था ‘‘सर्वे भवंतु सुखिनः’’ यदि कोई कमजोर है, पंक्ति के अंत में है वह भी सुख की कल्पना करे यह उसका जन्मसिद्ध अधिकार है, जिसका दायित्व समाज का है। इसी को देखते हुए उन्होंने विकास का मापदंड रखा कि विकास तभी माना जाएगा जब पंक्ति के अंतिम व्यक्ति को भी रोटी, कपड़ा, मकान, स्वास्थ्य व शिक्षा मिलेगी। इस सिद्धांत को आज ‘‘अंत्योदय’’ के नाम से जाना जाता है।
उन्होंने लेखक के प्रयासों की सराहनीय की तथा कहा कि हमें पंडित दीन दयाल उपाध्याय द्वारा बताए गए शाश्वत मूल्यों को आत्मसात करने और बढ़ावा देने का संकल्प लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम सब मिलकर करुणा, एकता और जिम्मेदारी की साझा भावना से प्रेरित एक सामंजस्यपूर्ण और समृद्ध समाज की दिशा में काम करें।
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