* ऊना की आशा पुरी का संबल बनी योजना;बेटे की मौत के बाद पोतियों की शिक्षा निर्विघ्न जारी * चंबा के पांगी के लुज गांव की वर्षा के लिए वरदान बनी योजना * सीएम सुक्खू का जताया आभार
* ऊना की आशा पुरी का संबल बनी योजना;बेटे की मौत के बाद पोतियों की शिक्षा निर्विघ्न जारी * चंबा के पांगी के लुज गांव की वर्षा के लिए वरदान बनी योजना * सीएम सुक्खू का जताया आभार
इस योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2025-26 के दौरान लगभग 28.23 करोड़ रुपये किए जाएंगे खर्च
खबर खास, शिमला :
' हम सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के आभारी हैं, क्योंकि उनकी वजह से हमारे बच्चों के सपने साकार हो रहे हैं।' यह कहना है ऊना जिले की आशा पुरी का। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार की 'इंदिरा गांधी सुख शिक्षा योजना' और सीएम के अथक प्रयासा से हमारे बच्चे अब बेहतर शिक्षा प्राप्त कर अपने सपनों को पूरा कर पा रहे हैं।
बकौल आशा उन्होंने करीबन पांच साल पहले अपने बेटे को खो दिया था। तब से वह अपनी बहू और दो पोतियों के साथ गुजर बसर कर रहीं थी। लेकिन आर्थिक् स्थिति ठीक न होने के चलते वह अपनी पोतियों की पढ़ाई और दूसरे खर्चे उठाने में कठिनाई का सामना कर रहे थी। ऐसे समय में उनके लिए इंदिरा गांधी सुख शिक्षा योजना उम्मीद की किरण बनी। आशा ने कहा कि वह ऐसी सरकार बार-बार देखना चाहती हैं।
आशा की बहू पूजा पुरी ने कहा कि पति की मृत्यु के बाद परिवार को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा था। बच्चों की शिक्षा जारी रखना बहुत कठिन हो गया था। उसके बाद जब उन्हें इंदिरा गांधी सुख शिक्षा योजना का पता चला तो उन्होंने उसके तहत आवेदन किया। अब उनकी दोनों बेटियां राज्य सरकार से मासिक आर्थिक सहायता प्राप्त कर रही है। राज्य सरकार द्वारा उन्हें प्रतिमाह 1000-1000 रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है।
कमोबेश कुछ ऐसी ही कहानी चंबा जिले की दूरस्थ पांगी घाटी के लुज गांव की वर्षा की भी है। वर्ष 2014 में वर्षा ने अपने पिता को खो दिया था। पिता परिवार की आय का मुख्य स्रोत था, जो उनके जाने के साथ ही खत्म हो गया। पिता की मृत्यु के पश्चात उसकी मां शिक्षा का खर्च नहीं उठा सकी। लेकिन 'इंदिरा गांधी सुख शिक्षा योजना' की सहायता से उसे जो वित्तीय सहायता मिली, वह उससे अपनी शिक्षा निर्विघ्न कर पा रही हैं।
वर्षा का कहना है कि आर्थिक सहायता से कहीं बढ़कर इंदिरा गांधी सुख शिक्षा योजना समाज के कमजोर वर्ग के बच्चों के लिए बेहतर भविष्य की नई राहें खोल रही है। यह योजना उन बच्चों के लिए वरदान बनी है जो पारिवारिक या सामाजिक कारणों से शिक्षा से वंचित रह जाते हैं।
' इंदिरा गांधी सुख शिक्षा योजना' असहायों का बनी सहारा, अब शिक्षा के लिए नहीं होना पड़ेगा वंचित
इस योजना के तहत विधवा, बेसहारा, परित्यक्त महिलाओं या दिव्यांग माता-पिता के 18 वर्ष तक के बच्चों को उनकी मूलभूत शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण आवश्यकताओ की पूर्ति के लिए प्रतिमाह 1000 रुपये की आर्थिक सहायता दी जा रही है। इसके अलावा उच्च शिक्षा के लिए, सरकारी संस्थानों में डिग्री, डिप्लोमा या व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में नामांकित 18 से 27 वर्ष की आयु के छात्रों को मुफ्त शिक्षा प्रदान की जा रही है।
रहने के लिए मुफ्त छात्रावास या पीजी आवास के लिए तीन हजार रुपए प्रतिमाह की वित्तीय सहायता भी
इतना ही नहीं इस योजना के तहत सिर्फ मुफ्त शिक्षा ही नहीं बल्कि मुफ्त छात्रावास भी दिया जाता है। छात्रावास की सुविधा उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में पीजी आवास के लिए 3,000 रुपये प्रति माह की वित्तीय सहायता दी जाती है।
वर्तमान में 18 साल तक 21,288 बच्चे तथा 18 से 27 वर्ष की आयु तक के 3,347 छात्र लाभान्वित
वर्तमान में 18 वर्ष तक की आयु के 21,288 बच्चे तथा 18 से 27 वर्ष की आयु तक के 3,347 विद्यार्थियों को इस योजना के तहत लाभार्थी के रूप में चिन्हित किया गया है। राज्य सरकार द्वारा इस योजना के क्रियान्वयन के लिए वित्तीय वर्ष 2025-26 के दौरान लगभग 28.23 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इस योजना की पात्रता के लिए आवेदक हिमाचल प्रदेश का स्थायी निवासी होना चाहिए तथा परिवार की वार्षिक आय एक लाख रुपये से कम होनी चाहिए।
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