भाखड़ा डैम की अवधि और गाद के बारे में बी.बी.एम.बी. के पास आँकड़े न होने पर उठाए सवाल शिक्षा मंत्री ने विपक्ष को बाढ़ प्रभावित पंजाब के पुनर्वास के लिए संकुचित राजनीतिक हितों से ऊपर उठकर जनहित को प्राथमिकता देने की अपील
भाखड़ा डैम की अवधि और गाद के बारे में बी.बी.एम.बी. के पास आँकड़े न होने पर उठाए सवाल शिक्षा मंत्री ने विपक्ष को बाढ़ प्रभावित पंजाब के पुनर्वास के लिए संकुचित राजनीतिक हितों से ऊपर उठकर जनहित को प्राथमिकता देने की अपील
खबर खास, चंडीगढ़ :
राज्य के हाल ही में आई विनाशकारी बाढ़ों के कारण पैदा हुयी स्थिति को देखते हुये पंजाब के शिक्षा एवं सूचना और लोक संपर्क मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने कहा कि यह समय राजनीतिक बयानबाज़ी का नहीं बल्कि भविष्य में ऐसी आपदाओं को रोकने और बाढ़ प्रभावित पंजाब के पुनर्वास हेतु भावी रणनीति तैयार करने का है। उन्होंने बी.बी.एम.बी. के कामकाज और इस प्राकृतिक आपदा पर विपक्ष द्वारा की जा रही बेबुनियाद ब्यानबाजी करके की जा रही राजनीति पर भी गंभीर सवाल उठाए।
आज पंजाब विधानसभा के विशेष सत्र को संबोधित करते हुए बैंस ने विपक्ष से अपील की कि वे संकुचित राजनीतिक हितों से ऊपर उठकर लोगों की भलाई को प्राथमिकता दें। उन्होंने बाढ़ों के भीषण प्रभावों पर प्रकाश डाला, जिनमें 59 लोगों की मौत, घरों का विनाश, हज़ारों पशुओं की क्षति और राज्य के कृषि क्षेत्र को गहरा आघात पहुँचना शामिल है। उन्होंने कहा कि असल नुकसान इससे भी व्यापक है क्योंकि बाढ़ प्रभावित इलाकों में साँप काटने, संपर्क टूटने के कारण अलग-थलग पड़ जाने जैसी वजहों से भी कई जानें गईं। शिक्षा मंत्री ने यह भी बताया कि सार्वजनिक बुनियादी ढाँचे को गंभीर क्षति पहुँची है, जिनमें 3,200 से अधिक स्कूल प्रभावित हुए और 1,300 से अधिक कक्षाएँ उपयोग योग्य नहीं रहीं।
उन्होंने कहा, “पाँच लाख एकड़ फसल बर्बाद हो गई है। इन फसलों पर निर्भर पंजाब की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है। पंजाब की वे महिलाएँ जो किसी को गंदी जूती पहनकर घरों में नहीं घुसने देती थीं, उनके आँगन अब कीचड़ और गाद से भरे पड़े हैं।”
बैंस ने भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बी.बी.एम.बी.) पर निशाना साधते हुए बोर्ड के चेयरमैन द्वारा हाईकोर्ट में दिए गए भ्रामक बयान का ज़िक्र किया। उन्होंने केंद्रीय जल आयोग की 24 अप्रैल की रिपोर्ट से तकनीकी आँकड़े प्रस्तुत किए, जिसमें उल्लेख था कि पंजाब के प्रमुख जलाशयों में 44.85 प्रतिशत पानी, जो सामान्य से काफी कम था, और हिमाचल प्रदेश के जलाशयों में 40.60 प्रतिशत पानी संचित था। उन्होंने आरोप लगाया कि उस समय भाखड़ा डैम में पानी का स्तर 1555 फ़ीट था, पानी की गंभीर कमी के बावजूद बी.बी.एम.बी. ने पंजाब के हिस्से का पानी हरियाणा की ओर मोड़ने की कोशिश की, जिससे पावर हाउस बंद होने का ख़तरा पैदा हो गया।
गोबिंद सागर जल भंडार को लेकर गंभीर सवाल उठाते हुए श्री बैंस ने कहा, “यह हैरानी की बात है कि बी.बी.एम.बी. भाखड़ा डैम, जिसकी अवधि 100 साल थी, के जल भंडार में गाद की मात्रा के बारे में भी जानकारी नहीं दे सका। अब इसकी कितनी अविध बची है - 10 साल, 15 साल या उससे भी कम ?” उन्होंने जलाशय की क्षमता, तलछट के स्तर और संरचनात्मक क्षमता का मूल्यांकन करने के लिए विशेषज्ञों की अगुवाई में एक समिति बनाने की माँग की ताकि इस अत्यंत अहम और संवेदनशील डैम का समग्र मूल्यांकन सुनिश्चित हो सके।
शिक्षा मंत्री ने अचानक आने वाले पानी के बहाव को कम करने के लिए डैमों के कैचमेंट क्षेत्रों में छोटे-छोटे चेक डैम बनाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि बी.बी.एम.बी. ने अपनी रिपोर्टों में पहले भी इस उपाय की सिफ़ारिश की थी लेकिन अफसोस की बात है कि इस संबंध में कभी कोई कदम नहीं उठाया गया। उन्होंने कहा, “हमें जलवायु परिवर्तन और बुनियादी ढाँचे की तैयारी पर चर्चा करनी चाहिए। हमारे डैमों और कैचमेंट क्षेत्रों का मूल्यांकन करना और भविष्य में इस तरह की त्रासदियों को रोकने के लिए ठोस उपाय सुनिश्चित करना बेहद ज़रूरी है।”
बैंस ने कहा, “10 दिन हो गए हैं लेकिन हमारे मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान को प्रधानमंत्री, जो अन्य राज्यों में रोड शो करने में व्यस्त हैं, से मुलाक़ात के लिए समय देने का एक भी संदेश नहीं मिला। यह केंद्र के लिए पंजाब के दर्द को हमदर्दी से समझने का समय है।” उन्होंने केंद्र सरकार से अपील की कि वह बाढ़ प्रभावित पंजाब को तुरंत सहायता प्रदान करे और अहम मुद्दों के समाधान हेतु द्विपक्षीय दृष्टिकोण अपनाए।
उन्होंने अपने कैबिनेट सहयोगी, हरदीप सिंह मुंडियां के प्रति प्रधानमंत्री के व्यवहार पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि जब मुंडियां बाढ़ प्रभावित पंजाब के लिए मदद की गुहार लगा रहे थे तो प्रधानमंत्री ने उनकी आवाज़ दबाने की कोशिश की यह कहकर कि “आप हिंदी नहीं समझते?” क्या प्रधानमंत्री तमिलनाडु में भी किसी से यह कहने की हिम्मत रखते हैं कि “आप हिंदी नहीं जानते?”
उन्होंने कहा कि इतिहास गवाह है कि पंजाब वर्षों से घावों की पीड़ा सहता आ रहा है और आज फिर वे घाव हरे हो रहे हैं। आज इस कठिन घड़ी में असंख्य लोग एक-दूसरे का साथ देने के लिए आगे आए हैं। उन्होंने स्वयंसेवकों, अधिकारियों और नागरिकों की सराहना करते हुए कहा कि हम सबने डटे रहकर पंजाब का साथ दिया, तटबंधों में आयी दरारों को भरा, कई तटबंध टूटने से बचाए और अब हम पंजाब को फिर से खड़ा करने की दुआ करते हैं। हमारा प्रदेश विनम्रता और सेवा भावना की परंपराओं पर जीवित है और जो लोग इन मूल्यों को बनाए रखते हैं, वे हमेशा हमारे मार्गदर्शक बने रहेंगे।
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