यह 1 अगस्त, 2025 से प्रभावी होगी। 1 जनवरी, 2006 को या उसके बाद सरकार सेवा में आए 2 लाख से अधिक कर्मचारियों को लाभ मिलने की संभावना है।
यह 1 अगस्त, 2025 से प्रभावी होगी। 1 जनवरी, 2006 को या उसके बाद सरकार सेवा में आए 2 लाख से अधिक कर्मचारियों को लाभ मिलने की संभावना है।
खबर खास, चंडीगढ़ :
हरियाणा सरकार ने कर्मचारियों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए राज्य में राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) के तहत भारत सरकार द्वारा अधिसूचित एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) को लागू करने का निर्णय लिया है। इस ऐतिहासिक कदम के तहत यह 1 अगस्त, 2025 से प्रभावी होगी। 1 जनवरी, 2006 को या उसके बाद सरकार सेवा में आए 2 लाख से अधिक कर्मचारियों को लाभ मिलने की संभावना है।
इस आशय का निर्णय आज यहां मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया। राज्य मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित इस योजना का उद्देश्य सरकारी कर्मचारियों को सुनिश्चित पेंशन, पारिवारिक पेंशन और सुनिश्चित न्यूनतम पेंशन देना है।
नई एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) राज्य सरकार के कर्मचारी को सेवानिवृत्ति से पहले 12 महीनों के दौरान प्राप्त औसत मूल वेतन का 50% प्रदान करेगी, बशर्ते कर्मचारी 25 साल की सेवा पूरी कर ले। यदि कर्मचारी 10 या उससे अधिक वर्ष की अर्हक सेवा पूरी करने के बाद सेवानिवृत्त होता है, तो उसे प्रति माह 10,000 रुपये का न्यूनतम गारंटीकृत भुगतान सुनिश्चित किया जाएगा। पेंशनभोगी की मृत्यु की स्थिति में, परिवार को अंतिम आहरित पेंशन राशि का 60% प्राप्त होगा।
यह महंगाई राहत सुनिश्चित पेंशन भुगतान और पारिवारिक पेंशन दोनों पर लागू होगी, जिसकी गणना सेवारत कर्मचारियों पर लागू महंगाई भत्ते के समान ही की जाएगी। हालांकि, महंगाई राहत केवल तभी देय होगी जब पेंशन भुगतान शुरू हो जाएगा। सेवानिवृत्ति के समय एकमुश्त भुगतान की भी अनुमति दी जाएगी, जो अर्हक सेवा के प्रत्येक पूर्ण छह महीने के लिए मासिक परिलब्धियों (मूल वेतन + महंगाई भत्ता) का 10% होगा। यह एकमुश्त राशि सुनिश्चित पेंशन भुगतान को प्रभावित नहीं करेगी।
वर्तमान नई पेंशन योजना के तहत, कर्मचारी 10% अंशदान करते हैं, जबकि राज्य सरकार 14% योगदान करती है। यूपीएस के कार्यान्वयन के साथ, सरकार का योगदान बढ़कर 18.5% हो जाएगा, इससे सरकार के खजाने पर लगभग 50 करोड़ रुपये मासिक और 600 करोड़ रुपये का वार्षिक वित्तीय भार पड़ेगा। एकीकृत पेंशन योजना के तहत कोष में दो निधियाँ शामिल होंगी: एक व्यक्तिगत कोष जिसमें कर्मचारी अंशदान और हरियाणा सरकार से प्राप्त योगदान शामिल होगा जो हरियाणा सरकार से अतिरिक्त योगदान द्वारा वित्त पोषित एक पूल कार्पस फंड के रूप में संचालित होगा।
योजना के तहत कर्मचारी अपने (मूल वेतन + महंगाई भत्ते) का 10% योगदान देंगे, जिसमें हरियाणा सरकार से मिला बराबर योगदान होगा। दोनों राशियाँ प्रत्येक कर्मचारी के व्यक्तिगत कोष में जमा की जाएँगी। इसके अलावा, हरियाणा सरकार UPS का विकल्प चुनने वाले सभी कर्मचारियों के (मूल वेतन + महंगाई भत्ते) का अनुमानित 8.5% औसत आधार पर पूल कार्पस में योगदान करेगी। इस अतिरिक्त योगदान का उद्देश्य योजना के तहत सुनिश्चित भुगतान करना है।
कर्मचारी अपने व्यक्तिगत कोष के लिए निवेश विकल्पों का उपयोग कर सकते हैं, जिसे पेंशन फंड विनियामक और विकास प्राधिकरण (PFRDA) द्वारा विनियमित किया जाएगा। यदि कोई कर्मचारी निवेश वरीयता निर्दिष्ट नहीं करता है, तो पीएफआरडीए द्वारा परिभाषित निवेश का 'डिफ़ॉल्ट पैटर्न' लागू होगा। अतिरिक्त सरकारी अंशदान द्वारा वित्तपोषित पूल कॉर्पस के लिए निवेश निर्णय पूरी तरह से हरियाणा सरकार द्वारा प्रबंधित किए जाएंगे।
जो कर्मचारी यूपीएस के चालू होने से पहले सेवानिवृत्त हुए और यूपीएस का विकल्प चुनते हैं, उनके लिए पीएफआरडीए टॉप-अप राशि प्रदान करने की व्यवस्था निर्धारित करेगा।
राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के तहत हरियाणा सरकार के मौजूदा कर्मचारियों के साथ-साथ भविष्य के कर्मचारियों के पास एनपीएस के तहत एकीकृत पेंशन योजना चुनने या यूपीएस विकल्प के बिना मौजूदा एनपीएस को जारी रखने का विकल्प होगा। एक बार जब कोई कर्मचारी यूपीएस का विकल्प चुनता है, तो योजना की सभी शर्तें स्वीकार की जाएंगी, और यह विकल्प अंतिम होगा।
बोर्ड/निगमों/सार्वजनिक उपक्रम ब्यूरो तथा राज्य के विश्वविद्यालयों आदि में यूपीएस के कार्यान्वयन के बारे में निर्णय बाद में अलग से लिया जाएगा।
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