भारत की कम्यूनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी) ने प्रदेश सरकार द्वारा बसों का न्यूनतम किराया 5 रुपए से बढ़ाकर 10 रुपए वृद्धि करने की निंदा की है। पार्टी ने सरकार से किराया वृद्धि के इस जनविरोधी निर्णय को तुरन्त वापिस लेने की अपील करते तुए कहा कि यदि सरकार इस बस किराया वृद्धि के निर्णय को तुरन्त प्रभाव से वापिस नहीं लेती तो पार्टी सरकार के इस आम जनता पर आर्थिक बोझ डालने वाले निर्णय के विरूद्ध जनता को लामबंद कर प्रदेशव्यापी आंदोलन करेगी।
कहा, जन विरोधी फैसले को तुरंत वापिस ले सरकार
खबर खास, शिमला :
भारत की कम्यूनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी) ने प्रदेश सरकार द्वारा बसों का न्यूनतम किराया 5 रुपए से बढ़ाकर 10 रुपए वृद्धि करने की निंदा की है। पार्टी ने सरकार से किराया वृद्धि के इस जनविरोधी निर्णय को तुरन्त वापिस लेने की अपील करते तुए कहा कि यदि सरकार इस बस किराया वृद्धि के निर्णय को तुरन्त प्रभाव से वापिस नहीं लेती तो पार्टी सरकार के इस आम जनता पर आर्थिक बोझ डालने वाले निर्णय के विरूद्ध जनता को लामबंद कर प्रदेशव्यापी आंदोलन करेगी।
पार्टी के प्रदेश महासचिव संजय चौहान ने यहां जारी एक बयान में कहा कि प्रदेश में रेलवे लाइनों व अन्य परिवहन के साधनों के अभाव मे जनसाधारण का बस सेवा ही एकमात्र परिवहन का साधन है। ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्रों में आम जनता बस से ही सफर कर पाती है। इसलिए यदि बस किराए में वृद्धि की गई तो इससे आम जनता विशेष रूप से किसान, मज़दूर, छात्र, कर्मचारी, महिला व युवा वर्ग बुरी तरह से प्रभावित होंगे। हर रोज सफर करने वाले जिसमे ध्याडी मज़दूरी करने वाले मज़दूर, स्कूली बच्चे, कर्मचारी, कामकाजी महिलाएं व किसान शामिल है को कम दूरी के सफ़र के लिए लगभग दोगुना बस किराया देना होगा।
उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा प्रदेश मे चल रहे आर्थिक संकट तथा एचआरटीसी को घाटे से उभारने के नाम पर बस किराए में वृद्धि का तर्क दिया जा रहा है। जबकि हकीकत इससे अलग है। आर्थिक संकट के लिए प्रदेश मे एक के बाद एक आने वाली सरकार द्वारा लागू की जा रही नवउदारवादी नीतियां जिम्मेवार है तथा इन्ही नीतियों के चलते प्रदेश मे सरकार द्वारा परिवहन क्षेत्र मे भी निजीकरण की नीतियां लागू की जा रही है। जिसके कारण आज सार्वजनिक क्षेत्र के एचआरटीसी में बसों की संख्या तथा रूटों में निरंतर कटौती की जा रही है तथा अधिकांश जो मुनाफे वाले रूट है उन पर निजी बस ऑपरेटरों को बस सेवा प्रदान करने के लिए परमिट जारी किए जा रहे हैं। जिसके चलते आज एचआरटीसी के पास मात्र 2573 रूट तथा 3150 बसे रह गई है। जबकि निजी ऑपरेटरों के पास अधिकांश बस रूट है तथा इनकी 8300 के करीब बसे चल रही है। इसके साथ ही मुनाफे के रूट निजी ऑपरेटरों को दिए जा रहे हैं और एचआरटीसी को घाटा उठाने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
Comments 0