* पद के लालच में बिट्टू अपने परिवार की राजनीतिक विरासत को धोखा देकर भाजपा में गए * रवनीत बिट्टू किसी पार्टी के सगे नहीं, जिधर फायदा दिखता है उधर चले जाते हैं, उनका कोई राजनीतिक स्टैंड नहीं