कहा, सिर्फ़ प्रस्ताव रद्द करने से समस्या का समाधान नहीं होगा पर्दे के पीछे से साज़िश रच रहे राजनीतिक नेताओं और सरकारी अधिकारियों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई हो: बलबीर सिद्धू
कहा, सिर्फ़ प्रस्ताव रद्द करने से समस्या का समाधान नहीं होगा पर्दे के पीछे से साज़िश रच रहे राजनीतिक नेताओं और सरकारी अधिकारियों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई हो: बलबीर सिद्धू
खबर खास, मोहाली :
नप खरड़ के जरिए श्याम बिल्डर को दाऊं गांव की महंगी जमीन देने को लेकर हंगामा मचा हुआ है। मामले को बढ़ता देख ज़िला विकास एवं पंचायत अधिकारी ने अपनी सिफ़ारिशें वापस ले लीं और अतिरिक्त उपायुक्त (शहरी विकास) ने पूरी प्रक्रिया रोकने के आदेश दिए, लेकिन नगर परिषद खरड़ ने प्रस्ताव संख्या 16 पारित कर इस ज़मीन को श्याम बिल्डर के पक्ष में कर दिया। इस मामले को लेकर अब पूर्व कैबिनेट मंत्री और मोहाली से पूर्व विधायक बलबीर सिंह सिद्धू ने इसे गंभीर भ्रष्टाचार का मामला बताते हुए विजिलेंस जाँच की माँग की है।
सिद्धू ने कहा, "भले ही सरकार ने अब इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया हो, लेकिन इससे साफ है कि इस मामले में शुरू से ही कुछ गड़बड़ थी। यह प्रस्ताव पहले ग्राम पंचायत और फिर तुरंत नगर परिषद द्वारा पारित किया जाना अपने आप में सवाल खड़े करता है।"
इस पूरी प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए पूर्व स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि एक तरफ पंजाब की भगवंत मान सरकार सैकड़ों एकड़ पंचायती जमीन को अवैध कब्जों से मुक्त कराने का दावा करते नहीं थकती, वहीं दूसरी तरफ ऐसी साजिशों के चलते निचले स्तर के अधिकारी ही पंचायती जमीनों के मामले में घोटाले कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि पंजाब में सरकार नाम की कोई चीज नहीं है, निचले स्तर के अधिकारी ही ऐसे घोटाले करने की हिम्मत जुटा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस पर लगाम कसना बेहद जरूरी है।
पूर्व स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि बड़ी बात यह है कि उनकी सरकार के दौरान 2021 में पूरी ग्राम सभा ने स्पष्ट प्रस्ताव पारित किया था कि दौन की जमीन किसी को नहीं दी जाएगी, तो अब इतनी जल्दबाजी में कदम क्यों उठाए गए? उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव के ज़रिए करोड़ों रुपये का भ्रष्टाचार हुआ है। उन्होंने कहा कि सिर्फ़ प्रस्ताव रद्द करना ही काफ़ी नहीं है, अगर भगवंत मान सरकार ख़ुद को ईमानदार कहती है, तो उसे इसकी उच्च-स्तरीय जाँच करवानी चाहिए और ज़िम्मेदार लोगों और उन नेताओं को सामने लाना चाहिए जो पर्दे के पीछे इस ज़मीन का घोटाला कर रहे थे और उनके ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर सरकार पारदर्शिता में विश्वास रखती है, तो इस मामले की जाँच सिर्फ़ विजिलेंस विभाग से ही नहीं, बल्कि किसी स्वतंत्र एजेंसी से भी करवानी चाहिए, ताकि सच्चाई सामने आ सके और ज़िम्मेदार लोगों को सज़ा मिल सके।
पूर्व स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि दाऊं गाँव के मतदाताओं और समाजसेवी संगठनों ने भी ग्राम पंचायत और नगर परिषद खरड़ द्वारा लोगों की राय लिए बिना ज़मीन बिल्डर के पक्ष में पारित करने की निंदा की और खरड़ परिषद के बाहर भी एकत्रित हुए, लेकिन यह प्रस्ताव खरड़ परिषद द्वारा पारित किया गया।
उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले में ग्राम पंचायत से लेकर नगर परिषद खरड़ तक अधिकारियों और राजनीतिक ताकतों की मिलीभगत के आरोप लग रहे हैं। यह भी कहा जा रहा है कि बिल्डर के प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए ज़मीन जबरन हस्तांतरित की गई।
उन्होंने कहा कि अब देखना यह है कि पंजाब सरकार इस मामले को कैसे सुलझाती है। क्या सिर्फ़ प्रस्ताव रद्द करने से ही मामला खत्म हो जाएगा या माननीय मुख्यमंत्री मान उनकी मांग के अनुसार पूरी ईमानदारी से निष्पक्ष जाँच करवाएँगे?
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