कहा, यह पर्व न केवल कारीगरों और श्रमिकों का सम्मान करने का अवसर है, बल्कि यह संदेश भी देता है कि हर कार्य को यदि समर्पण और निष्ठा से किया जाए तो वही सच्ची पूजा बन जाता है।