कृषि मंत्री मंगलवार को कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा अंबाला की साहा अनाज मंडी में आयोजित राज्य स्तरीय प्राकृतिक खेती किसान मेले में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।
कृषि मंत्री मंगलवार को कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा अंबाला की साहा अनाज मंडी में आयोजित राज्य स्तरीय प्राकृतिक खेती किसान मेले में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।
खबर खास, चंडीगढ़ :
हरियाणा के कृषि, मत्स्य, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री श्याम सिंह राणा ने कहा कि प्राकृतिक खेती भारत की पारंपरिक कृषि पद्धति है, जिसे अपनाकर हम स्वयं भी स्वस्थ रह सकते हैं और आने वाली पीढ़ियों को भी स्वस्थ भविष्य दे सकते हैं। उन्होंने किसानों से अपील की कि वे कम से कम एक एकड़ भूमि से प्राकृतिक खेती की शुरुआत करें तथा देसी गाय को अपनाएं, क्योंकि प्राकृतिक खेती में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है।
कृषि मंत्री मंगलवार को कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा अंबाला की साहा अनाज मंडी में आयोजित राज्य स्तरीय प्राकृतिक खेती किसान मेले में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। उन्होंने किसान मेले की सराहना करते हुए कहा कि कृषि विभाग सहित अन्य संबंधित विभागों द्वारा लगाए गए स्टॉलों के माध्यम से किसानों को प्राकृतिक खेती, उन्नत कृषि यंत्रों और सरकारी योजनाओं की विस्तृत जानकारी दी जा रही है। उन्होंने बताया कि प्राकृतिक खेती से उत्पादित अनाज की बिक्री के लिए गुरुग्राम और हिसार में विशेष मंडियों का निर्माण किया जा रहा है।
कृषि मंत्री ने कहा कि राज्य और केंद्र सरकार द्वारा प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए अनेक जनहितकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं। देसी गाय की खरीद पर 30 हजार रुपये की सब्सिडी दी जा रही है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती में जुताई कम, जीवामृत व बीजामृत का प्रयोग तथा मिट्टी और पर्यावरण के संतुलन का विशेष ध्यान रखा जाता है।
इस अवसर पर कृषि मंत्री ने प्रगतिशील किसानों, फसल अवशेष प्रबंधन में उत्कृष्ट कार्य करने वाले कर्मचारियों तथा प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता के विजेता किसानों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया। उन्होंने किसानों से कृषि विभाग कार्यालय या ब्लॉक स्तर पर पंजीकरण करवाने का आह्वान किया, ताकि वे कुरुक्षेत्र स्थित गुरुकुल में आयोजित तीन दिवसीय निःशुल्क प्रशिक्षण कार्यशाला का लाभ उठा सकें। मंत्री ने स्टॉलों का अवलोकन कर अधिकारियों को निर्देश दिए कि किसानों को योजनाओं की पूरी जानकारी उपलब्ध कराई जाए।
कृषि मंत्री ने कहा कि रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के अत्यधिक प्रयोग से मिट्टी की उर्वरता घट रही है और मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। ऐसे में प्राकृतिक खेती एक स्थायी और सुरक्षित विकल्प है। उन्होंने बताया कि हरियाणा सरकार ने वर्ष 2025-26 तक एक लाख एकड़ भूमि को प्राकृतिक खेती के अंतर्गत लाने का लक्ष्य रखा है। इसके तहत किसानों को प्रशिक्षण, वित्तीय सहायता, उपकरणों पर सब्सिडी तथा 10 हजार रुपये (प्रति एकड़ 4 हजार रुपए व कुल 2.5 एकड़ तक) वित्तीय सहायता प्रदान करती है। कुल वार ड्रम पर (200 लीटर प्रत्येक) 3 हजार रुपए तक सब्सिडी प्रदान करती है।
कार्यक्रम के दौरान कृषि मंत्री ने किसानों की समस्याएं भी सुनीं और उनके समाधान का आश्वासन दिया।
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