मुख्यमंत्री सैनी ने क्षतिग्रस्त वाटर पाइपलाइन का कार्य शीघ्र आरंभ करवाने के दिए निर्देश भूजल की बजाय सतही जल पर निर्भरता बढ़ाने की दिशा में करें कार्य - नायब सिंह
मुख्यमंत्री सैनी ने क्षतिग्रस्त वाटर पाइपलाइन का कार्य शीघ्र आरंभ करवाने के दिए निर्देश भूजल की बजाय सतही जल पर निर्भरता बढ़ाने की दिशा में करें कार्य - नायब सिंह
खबर खास, चंडीगढ़ :
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि पंचकूला शहर को कौशल्या डैम से पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए क्षतिग्रस्त वाटर पाइपलाइन की मरम्मत का कार्य शीघ्र आरंभ किया जाए। उन्होंने कहा कि इस कार्य को प्राथमिकता के आधार पर पूरा किया जाए ताकि पंचकूला के विभिन्न सेक्टरों में पूर्व की भांति ट्यूबवेल की जगह डैम से पेयजल आपूर्ति बहाल की जा सके। सैनी आज यहां व्यापक बांध सुरक्षा से संबंधित एक बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।
इसके अतिरिक्त, मुख्यमंत्री ने हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि प्राधिकरण पिंजौर-कालका क्षेत्र में स्वच्छ पानी के भंडारण हेतु 10-12 एकड़ भूमि जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग को उपलब्ध करवाए ताकि यह व्यवस्था होने से पिंजौर-कालका क्षेत्रों में भी कौशल्या डैम से स्वच्छ पेयजल आपूर्ति शीघ्र शुरू की जा सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार के सभी संबंधित विभागों को पेयजल आपूर्ति के लिए भू-जल (ग्राउंड वाटर) की बजाय सतही जल (सरफेस वाटर) पर निर्भर रहना चाहिए तथा वर्षा के जल को वैज्ञानिक तरीके से संचित कर उसके उपयोग की दिशा में ठोस कदम उठाए जाने चाहिएं।
कजौली वाटर वर्क्स की मोटरों की क्षमता बढ़ाने के दिए निर्देश
उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि कजौली वाटर वर्क्स से होने वाली पानी की सप्लाई को सुदृढ़ किया जाए तथा पानी सप्लाई करने वाली मोटरों की क्षमता बढ़ाई जाए जिससे कजौली वाटर वर्क्स से पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध हो सके।
कौशल्या डैम की भंडारण क्षमता बढ़ाने की दिशा में करें पहल
मुख्यमंत्री ने कौशल्या डैम की जल भंडारण क्षमता बढ़ाने की दिशा में सिंचाई विभाग को कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए। उन्होंने यह भी कहा कि गंदा पानी किसी भी स्थिति में डैम तक न पहुंचे, इसके लिए भी विभाग द्वारा अन्य संबंधित विभागों से तालमेल कर प्रभावी कदम उठाए जाएं।
बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने पंचकूला के कौशल्या डैम, सिरसा के ओटू हेड और यमुनानगर स्थित हथनीकुंड बैराज की स्थिति की समीक्षा की तथा विशेषज्ञों के स्वतंत्र पैनल द्वारा बांधों के मूल्यांकन के निर्देश दिए ताकि इन बांधों की मजबूती और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
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