हरियाणा के संसदीय कार्य मंत्री महीपाल ढांडा ने कहा कि प्रदेश के नौजवान नशे के जाल में न फंसे और नशा तस्करों पर शिकंजा कसने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा संकल्प नामक प्राधिकरण बनाया जाएगा। हरियाणा नशा मुक्त बने, यह सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता और संकल्प भी है। प्रदेश सरकार नशे की चुनौती से निपटने के लिए त्रिस्तरीय रणनीति पर कार्य कर रही है।
2020 से 2024 के बीच स्वापक औषधि और मनः प्रभावी पदार्थ, अधिनियम 1988 (NDPS Act) के तहत किए गए 16781 मामले दर्ज, 25446 आरोपियों को गिरफ्तार कर भेजा गया जेल
117 बड़े तस्करों की 52.79 करोड़ रुपये की कीमत की अवैध संपत्ति की गई जब्त
खबर खास, चंडीगढ़ :
हरियाणा के संसदीय कार्य मंत्री महीपाल ढांडा ने कहा कि प्रदेश के नौजवान नशे के जाल में न फंसे और नशा तस्करों पर शिकंजा कसने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा संकल्प नामक प्राधिकरण बनाया जाएगा। उन्हाेंने कहा कि पहला, ड्रग तस्करों पर कठोर कानूनी कार्यवाही कर रही है, दूसरा, समाज, विशेषकर युवाओं को ड्रग्स के दुष्प्रभावों के प्रति सचेत करने के लिए व्यापक जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं एवं तीसरा, ड्रग्स के आदी व्यक्तियों के इलाज और पुनर्वास की समुचित व्यवस्था की जा रही है।
उन्होंने कहा कि सरकार की समग्र प्रतिबद्धता को ध्यान में रखते हुए नशामुक्ति अभियान की सफलता के लिए पुलिस, स्वास्थ्य, सामाजिक न्याय तथा अधिकारिता (SEWA) एवं जनसंपर्क इत्यादि सभी संबंधित विभागों द्वारा निरंतर संयुक्त प्रयास किए जा रहे हैं।
महीपाल ढांडा आज हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र के दौरान सदन के कुछ सदस्यों द्वारा हरियाणा में सिंथेटिक नशे के बढ़ते प्रभाव और नशीली दवाओं से बढ़ते खतरे से संबंधित लगाए गए एक ध्यानाकर्षण प्रस्ताव का जवाब दे रहे थे।
महीपाल ढांडा ने कहा कि बड़े ड्रग तस्करों के नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए पुलिस विभाग द्वारा गंभीर प्रयास किये जा रहे हैं। 2020 से 2024 के बीच स्वापक औषधि और मनः प्रभावी पदार्थ, अधिनियम 1988 (NDPS Act) के तहत 16781 मामले दर्ज किए गए और इनमें कुल 25446 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया, इनमें से 1767 मुकदमें व्यावसायिक मात्रा के थे, जिनमें 3714 आरोपियों की गिरफ्तारी हुई। 117 बड़े तस्करों की 52.79 करोड़ रुपये की कीमत की अवैध संपत्ति जब्त की गई।
उन्होंने बताया कि मादक दवाओं और मनः प्रभावी पदार्थों के अवैध व्यापार की रोकथाम, अधिनियम 1988 (PIT-NDPS Act 1988) के तहत अब तक कुल 65 आदतन तस्करों को निवारक हिरासत में लिया गया है इसके अलावा 6 अन्य मामले सरकार के विचाराधीन हैं। 100 बड़े तस्करों के 111 अवैध निर्माण को ढहाया गया है। इस अवधि में प्रतिबंधित दवाइयों की अवैध बिक्री के 969 मुकदमों में 1325 गिरफ्तारियां हुई और 100 केमिस्टों के लाइसेंस रद्द किए गए। इस साल में भी पुलिस नए संकल्प और ऊर्जा से ड्रग तस्करों पर नकेल लगाने के प्रयास में लगी है।
उन्होंने बताया कि 2025 के जनवरी और फरवरी माह में NDPS अधिनियम के तहत 567 नए मामले दर्ज किए गए। जिनमें 888 तस्करों को गिरफ्तार किया गया। सरकार सिंथेटिक ड्रग्स पर भी सख्ती बरत रही है, हालांकि 2020 से 2024 के बीच LSD, मेथ, एम्फेटामाइन, मेथडोन और MDMA की की अवैध सप्लाई पर सरकार सख्त कदम उठा रही है। केंद्रीय एजेंसियों के सहयोग से ड्रग सप्लाई चेन की बारीकी से निगरानी की जा रही है। पुलिस अधिकारियों एवं कर्मचारियों को मादक पदार्थों से सम्बन्धित मामलों के अनुसंधान के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
ढांडा ने कहा कि भारत के उतरी क्षेत्रों में मादक पदार्थों की अंतरराज्यीय तस्करी को रोकने तथा राज्यों में आपसी तालमेल सुनिश्चित करने के लिए वर्ष 2018 में एक अंतर-राज्यीय ड्रग सचिवालय (ISDS) की स्थापना की गई है जिसका मुख्यालय पंचकूला में है। ये उत्तर भारत के विभिन्न राज्यों में तालमेल बैठाकर नशीली दवाओं की तस्करी करने वालों पर नजर रखता है। पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली और चंडीगढ़ के साथ समन्वय को और अधिक मजबूत किया गया है, जिससे राज्य की सीमाओं पर सख्त निगरानी रखी जा सके। राज्य में ड्रग्स की तस्करी को रोकने के लिए अंतर्राज्यीय सीमा चौकियों पर विशेष निगरानी रखी जा रही है। प्रशिक्षित नारको डॉग्स की मदद से वाहनों और संदिग्ध व्यक्तियों की तलाशी की जा रही है। इससे नशे की तस्करी पर अंकुश लगाने में मदद मिली है।
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