कहा, जीएसटी सुधार आत्मनिर्भर भारत के लिए मील का पत्थर होंगे साबित हरियाणा के अनुरोध पर फसल अवशेष प्रबंधन में उपयोग होने वाले कृषि उपकरणों पर जी.एस.टी. दरों में कमी
कहा, जीएसटी सुधार आत्मनिर्भर भारत के लिए मील का पत्थर होंगे साबित हरियाणा के अनुरोध पर फसल अवशेष प्रबंधन में उपयोग होने वाले कृषि उपकरणों पर जी.एस.टी. दरों में कमी
खबर खास, चंडीगढ़ :
'पीएम नरेंद्र मोदी की ओर से स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से घोषित जीएसटी सुधारों को एक महीनें में लागू कर दिया गया, जो मोदी की गांरटी का प्रमाण है।' यह कहना है हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी। मुख्यमंत्री आज यहां आयोजित प्रेस वार्ता को संबोधित कर रहे थे।
सैनी ने कहा कि जीएसटी ने कर प्रणाली को सरल और पारदर्शी बनाया है। इसने राज्यों के बीच व्यापार में आने वाली बाधाओं को भी दूर किया है और प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के 'एक राष्ट्र-एक कर-एक बाजार' की परिकल्पना को साकार किया है।
उन्होंने कहा कि जी.एस.टी. परिषद् की 56वीं बैठक में नागरिकों पर बोझ कम करने और अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। इन निर्णयों को स्वागत योग्य कदम बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जीएसटी करों को तर्कसंगत बनाने से रोजमर्रा इस्तेमाल के उपभोक्ता सामान सस्ते होंगे। इसलिए मध्यम वर्ग की बचत बढ़ेगी और आगामी त्योहारों के सीजन में खरीददारी से बाजार को बड़ा लाभ होगा।
उन्होंने कहा कि अब देश में जी.एस.टी. की सिर्फ दो ही मानक दरें रहेंगी। एक 5 प्रतिशत और दूसरी 18 प्रतिशत। इसके अलावा अहितकारी वस्तुओं के लिए विशेष दर 40 प्रतिशत सहित अन्य विशेष दरें रखी गई है। दो दरों 12 प्रतिशत व 28 प्रतिशत को समाप्त कर दिया गया है। दरों के वर्गीकरण में भी सुधार किया गया है। इससे वर्गीकरण संबंधी विवाद कम होंगे और मुकदमेबाजी से बचकर करदाताओं को लाभ होगा। नागरिकों द्वारा सामान्य रूप से उपयोग की जाने वाली वस्तुओं पर जी. एस.टी. दरों को कम कर दिया गया है और कुछ पर समाप्त कर दिया गया है। इसके अलावा, लोगों पर टैक्स का बोझ और कम करने के लिए सेस को भी खत्म कर दिया गया है। कपड़ा और उर्वरकों पर इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर को हटाया गया है। इससे डीलरों के लिए पूंजी का अवरोध कम होगा।
उन्होंने कहा कि पंजीकरण प्रक्रिया को सरल बनाया गया है। इससे कम जोखिम वाले आवेदकों के लिए 3 दिनों के भीतर स्वचालित पंजीकरण हो सकेगा। सिस्टम विश्लेषण के आधार पर और एक निश्चित समय-सीमा के भीतर प्रोविजनल रिफंड जारी करना शामिल है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जी.एस.टी. परिषद् द्वारा किए गए सुधारों में कृषि और किसानों दोनों के हितों का ध्यान रखा गया है। हरियाणा एक कृषि प्रधान राज्य है, और हरियाणा के अनुरोध पर विचार करते हुए जीएसटी परिषद् ने फसल अवशेष प्रबंधन में उपयोग होने वाले कृषि उपकरणों पर जी.एस.टी. दरों में कमी की है। इसके लिए उन्होंने केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण का आभार व्यक्त किया।
उन्होंने कहा कि परिषद् ने पैकेज्ड दूध और पनीर पर जी.एस.टी. जीरो कर दिया है. जबकि घी, मक्खन और सूखे मेवों पर दरें 12 से घटाकर 5 प्रतिशत कर दी गई हैं। इन बदलावों से कीमतें कम होंगी, महंगाई को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी और सभी को पौष्टिक भोजन प्राप्त होगा। साथ ही, रोटी और परांठा जैसे रोजमर्रा के खाद्य पदार्थों पर जी.एस.टी. पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है। इससे पारंपरिक खाद्य व्यवसायों को बढ़ावा मिलेगा। इन कदमों से हरियाणा के खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को भी बढ़ावा मिलेगा, किसानों को अपनी फसलों का मूल्यवर्धन करने में मदद मिलेगी और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जी.एस.टी. परिषद का सिंचाई और जुताई मशीनरी जैसे कृषि उपकरणों पर जी.एस.टी. दरों को 12 से घटाकर 5 प्रतिशत करने का निर्णय भी एक स्वागत योग्य कदम है। इससे किसानों के लिए कृषि उपकरणों की लागत कम होगी। जैव-कीटनाशकों और उर्वरक इनपुट्स जैसे कि अमोनिया, सल्फ्यूरिक एसिड और नाइट्रिक एसिड पर अब 5 प्रतिशत जी.एस.टी. लागू होगी, जिससे इनपुट लागत कम होगी और टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा मिलेगा।
इसके अलावा, ट्रैक्टर और ट्रैक्टर पुर्जों पर भी जी.एस.टी. दरों को कम किया गया है। इसमें 1800 सी सी से कम इंजन क्षमता वाले ट्रैक्टरों पर जी.एस.टी. दर 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दी गई है, जबकि 1800 सी सी से अधिक इंजन क्षमता वाले ट्रैक्टरों के लिए यह दर 28 से घटाकर 18 प्रतिशत कर दी गई है। यह प्रगतिशील कदम किसानों को आधुनिक कृषि मशीनरी अपनाने के लिए प्रोत्साहित करेगा और खेती में आधुनिकीकरण को बढ़ावा देगा।
*सौर और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा उपकरणों पर जी.एस.टी. दर घटने से स्वच्छ ऊर्जा के उपयोग को मिलेगा बढ़ावा*
श्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि सौर और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा उपकरणों पर जी.एस.टी. दर 12 से घटाकर 5 प्रतिशत कर दी गई है। यह कदम स्वच्छ ऊर्जा के उपयोग को और बढ़ावा देगा, परियोजना लागत को कम करेगा और टिकाऊ व पर्यावरण-अनुकूल ऊर्जा को प्रोत्साहित करेगा। वस्त्र क्षेत्र में भी उद्योग और उपभोक्ताओं को राहत प्रदान करने के लिए जी.एस.टी. दरों को युक्तिसंगत बनाया गया है। धागे और कपड़े जैसे प्रमुख कपड़ा इनपुट्स, जिन पर पहले 12 प्रतिशत जी.एस.टी. लगता था, उन पर अब 5 प्रतिशत लगेगा। सिलाई मशीन पर भी जी.एस.टी. 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है। इन कटौतियों से उत्पादन लागत में काफी कमी आएगी, छोटे और मध्यम उद्यम मजबूत होंगे और इस क्षेत्र में अधिक रोजगार पैदा होंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आवश्यक जीवन रक्षक दवाओं पर जी.एस.टी. 12 प्रतिशत से घटाकर शून्य कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त, डायग्नोस्टिक किट, जैसे ग्लूकोमीटर और रीजेंट पर जी.एस.टी. 5 प्रतिशत कर दिया गया है। इन उपायों से इलाज की लागत में उल्लेखनीय कमी आएगी और विशेष देखभाल की आवश्यकता वाले रोगियों को सीधी राहत मिलेगी।
उन्होंने कहा कि आमजन को एक और बड़ी राहत देते हुए छोटी कारों में पेट्रोल के लिए 1200 सीसी तक और डीजल के लिए 1500 सीसी तक इंजन क्षमता वाली कारों पर जीएसटी दर 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत कर दी गई है, और यही 18 प्रतिशत दर 350 सीसी तक इंजन क्षमता वाली मोटरसाइकिलों पर भी लागू होगी। इन बदलावों से मध्यम वर्ग के लिए छोटी गाड़ियां अधिक किफायती हो जाएंगी और ऑटोमोबाइल क्षेत्र में मांग बढ़ेगी।
इसी प्रकार, सीमेंट पर जी.एस.टी. दर 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत कर दी गई है। इससे निर्माण लागत कम होगी और हरियाणा में इन्फ्रास्ट्रक्चरका विकास और मकान बनाना आसान हो जाएगा। कुछ अहितकारी वस्तुओं की दरों को भी युक्तिसंगत बनाया गया है। तंबाकू उत्पादों, पान मसाला और सिगरेट पर जी.एस.टी. बढ़ाकर 40 प्रतिशत कर दिया गया है, जबकि मौजूदा मुआवजा सेस लागू रहेगा। चीनी युक्त एयरियेटिडवाटर और कैफीन युक्त पेय पदार्थों पर भी जी.एस.टी. दर बढ़ाकर 40 प्रतिशत कर दी गई है। इस उपाय का उद्देश्य हानिकारक उत्पादों की खपत को हतोत्साहित करना है, जबकि सार्वजनिक कल्याण के लिए उच्च राजस्व उत्पन्न करना है, जिससे पूरे समाज को लाभ होगा।
वर्ष 2024-25 में, हरियाणा कुल सकल जी.एस.टी. संग्रह में देश के प्रमुख राज्यों में 5वें स्थान पर रहा
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2017 से, जी.एस.टी. ढांचे को सरल और तर्कसंगत बनाने के लिए लगातार प्रयास किए गए हैं। इससे हरियाणा में कर आधार का विस्तार हुआ है और जी.एस.टी. संग्रह में वृद्धि हुई है। हरियाणा का नेट एस.जी. एस.टी. संग्रह 2018-19 के 18 हजार 910 करोड़ रुपये से बढ़कर 2024-25 में 39 हजार 743 करोड़ रुपये हो गया। यह 110 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। छोटी आबादी और आकार के बावजूद, हरियाणा एक अग्रणी कर-संग्रह करने वाले राज्य के रूप में उभरा है। वर्ष 2024-25 में, हरियाणा कुल सकल जी.एस.टी. संग्रह में देश के प्रमुख राज्यों में 5वें स्थान पर रहा। वित्त वर्ष 2025-26 में हरियाणा का नेट एस. जी.एस.टी. संग्रह 20 प्रतिशत की प्रभावशाली दर से बढ़ रहा है।
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