यह छह वर्षीय कार्यक्रम वर्ष 2026 में शुरू होने की उम्मीद है, जो वर्ष 2032 तक चलेगा।
यह छह वर्षीय कार्यक्रम वर्ष 2026 में शुरू होने की उम्मीद है, जो वर्ष 2032 तक चलेगा।
खबर खास, चंडीगढ़ :
हरियाणा सरकार लगभग 5,700 करोड़ रुपये की लागत से ‘वॉटर सिक्योर हरियाणा’ नामक एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम शुरू करने जा रही है। इस परियोजना में लगभग 4,000 करोड़ रुपये (500 मिलियन अमेरिकी डॉलर) का वित्तीय सहयोग विश्व बैंक द्वारा प्रोग्राम फॉर रिजल्ट्स (पीएफओआर) फ्रेमवर्क के अंतर्गत प्रदान किया जाएगा। यह छह वर्षीय कार्यक्रम वर्ष 2026 में शुरू होने की उम्मीद है, जो वर्ष 2032 तक चलेगा। एकीकृत, डेटा आधारित तथा प्रदर्शन उन्मुख दृष्टिकोण से प्रदेश के सिंचाई एवं जल प्रबंधन तंत्र कायाकल्प करेगा।
मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी ने आज विश्व बैंक के प्रतिनिधियों के साथ हुई एक बैठक में इस कार्यक्रम को हरियाणा की जल प्रबंधन नीति में एक “परिवर्तनकारी कदम” बताया। उन्होंने कहा कि इस पहल से वर्ष 2032 तक राज्य को देश का पहला पूर्णतः जल सुरक्षित राज्य बनाने के लक्ष्य को हासिल करने में निर्णायक मदद मिलेगी। मुख्य सचिव ने यह भी बताया कि इस परियोजना में सहभागी सिंचाई प्रबंधन (पार्टिसिपेटरी इरिगेशन मैनेजमेंट) का एक विशेष घटक शामिल किया जाएगा। उन्होंने विश्व बैंक टीम से आग्रह किया कि वे इस संबंध में अपने सुझाव साझा करें।
विश्व बैंक के एक वरिष्ठ प्रतिनिधि ने इस पहल को केवल एक सिंचाई परियोजना नहीं, बल्कि हरियाणा को देश का पहला जल सुरक्षित राज्य बनाने की रूपरेखा बताया।
यह कार्यक्रम 18 जिलों में फैले 14 रणनीतिक सिंचाई क्लस्टरों में सीधे तौर पर लागू किया जाएगा, जो कुल 3,63,546 हेक्टेयर कृषि योग्य कमांड एरिया (सी सी ए) को कवर करेगा। इसी तर्ज पर शेष जिलों को नाबार्ड, राज्य बजट या अन्य एजेंसियों के माध्यम से शामिल किया जाएगा। हालांकि भौतिक हस्तक्षेप विशेष क्लस्टरों पर केंद्रित रहेंगे, लेकिन योजना और संस्थागत सुधार के लाभ सभी 22 जिलों तक पहुंचेंगे।
‘वॉटर सिक्योर हरियाणा’ कार्यक्रम को एक समग्र, बहु विभागीय पहल के रूप में तैयार किया गया है, जो आधुनिक अवसंरचना, टिकाऊ कृषि पद्धतियों और समुदाय की भागीदारी को जोड़ता है। इसके तहत 14 रणनीतिक सिंचाई क्लस्टरों में लगभग 1,798 किलोमीटर नहरों का आधुनिकीकरण किया जाएगा, जिसमें रियल टाइम डेटा एक्विजिशन सिस्टम (आरटीडीएएस) और सुपरवाइजरी कंट्रोल एंड डेटा एक्विजिशन (एससीएडीए) जैसी आधुनिक स्वचालित प्रणालियाँ शामिल होंगी। दक्षिण हरियाणा के विभिन्न जिलों में लगभग 80 जल संरचनाओं को पुनर्जीवित किया जाएगा ताकि भूजल पुनर्भरण को सुदृढ़ किया जा सके।
जींद, कैथल और गुरुग्राम के प्रमुख सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) से जल का पुनः उपयोग कर लगभग 11,500 हेक्टेयर कृषि भूमि की सिंचाई की जाएगी। क्लस्टर आधारित सूक्ष्म सिंचाई प्रणालियाँ और जलमार्ग पुनर्वास कार्य वाटर यूजर एसोसिएशनों (डब्ल्यूयूए) की सक्रिय भागीदारी से किए जाएंगे। सिंचाई विभाग और मिकाडा संयुक्त रूप से किसानों के साथ परामर्श बैठकें आयोजित करेंगे ताकि सामूहिक और स्थायी परिणाम सुनिश्चित किए जा सकें।
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग फसल विविधीकरण और डायरेक्ट सीडेड राइस (डीएसआर) जैसी तकनीकों को प्रोत्साहित करेगा, जिससे जल उपयोग दक्षता और मिट्टी की सेहत बेहतर होगी। इसके अतिरिक्त, राज्य के लगभग दो लाख एकड़ जलभराव प्रभावित क्षेत्र में कृषि विभाग वर्टिकल और सब सरफेस ड्रेनेज सिस्टम विकसित करेगा ताकि जलभराव और लवणीयता की समस्या का समाधान किया जा सके। वन विभाग राज्य के जलभराव प्रभावित क्षेत्रों में जैविक जल निकासी प्रणाली (बायो ड्रेनेज) लागू करेगा, जिससे पर्यावरणीय दृष्टि से भी जल सुरक्षा में योगदान मिलेगा।
विश्व बैंक प्रतिनिधिमंडल ने हरियाणा सरकार की दूरदर्शी सोच की सराहना की और इस कार्यक्रम को देश की सबसे व्यापक जल संसाधन प्रबंधन पहलों में से एक बताया। उन्होंने कहा कि यह पहल पारंपरिक निर्माण केंद्रित योजनाओं से आगे बढ़कर परिणाम आधारित, पारदर्शी और सामुदायिक भागीदारी वाले मॉडल की दिशा में महत्वपूर्ण परिवर्तन है।
विश्व बैंक के प्रतिनिधिमंडल में जूप, बोगचन, सत्या, सौम्या और कार्तिक शामिल थे। बैठक में सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अनुराग अग्रवाल,कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के प्रधान सचिव पंकज अग्रवाल, निदेशक रजनारायण कौशिक, मुख्य वन संरक्षक विनीत कुमार गर्ग, सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग के इंजीनियर इन चीफ बीरेंद्र सिंह, वाईडब्ल्यूएस (एन) के इंजीनियर इन चीफ डॉ. सतबीर सिंह कादयान तथा मिकाडा के चीफ इंजीनियर एस डी शर्मा उपस्थित रहे
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