एसीएस गृह डॉ. सुमिता मिश्रा ने समय पर की गई पुलिस कार्रवाई की सराहना की
एसीएस गृह डॉ. सुमिता मिश्रा ने समय पर की गई पुलिस कार्रवाई की सराहना की
खबर खास, चंडीगढ़ :
हरियाणा पुलिस ने फर्जी एचएसएससी वेबसाइट के माध्यम से नौकरी के इच्छुक उम्मीदवारों को निशाना बनाने वाले साइबर क्राइम रैकेट पर नकेल कसी है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के बिना देरी किए कार्रवाई करने के स्पष्ट निर्देश ने सुनिश्चित किया कि एक खतरनाक रैकेट को बेअसर कर दिया गया।
गृह विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुमिता मिश्रा ने बताया कि इस धोखाधड़ी (स्कैम) के मास्टरमाइंड, जिसने फर्जी पोर्टल बनाया और उसे संचालित किया, को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से गिरफ्तार कर लिया गया है। इस मामले में कुल छह आरोपी अभी पुलिस की हिरासत में हैं, जिनमें गोरखपुर से 4, कुरुक्षेत्र से 1 और फतेहाबाद से 1 संदिग्ध शामिल है।
अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुमिता मिश्रा ने बताया कि गिरोह ने एक फर्जी वेबसाइट https://onetimeregn.examinationservices.in बनाई थी जिसे सीईटी 2025 पंजीकरण के लिए हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (एचएसएससी) के आधिकारिक पोर्टल (https://onetimeregn.haryana.gov.in) की नकल करने के लिए डिज़ाइन किया गया था। साइट को थर्ड-पार्टी डोमेन पर होस्ट किया गया था और पंजीकरण शुल्क के नाम पर क्यूआर कोड के माध्यम से बेखबर उम्मीदवारों से पैसे वसूले जा रहे थे।
उन्होंने बताया कि जैसे ही इस घोटाले का पता चला, एचएसएससी ने सेक्टर-5 पुलिस स्टेशन, पंचकूला में औपचारिक शिकायत दर्ज कराई। मामले को सर्वोच्च प्राथमिकता पर लिया गया और पुलिस आयुक्त, श्री सिबाश कबीरराज की प्रत्यक्ष निगरानी में, साइबर टीम ने तेजी से कार्रवाई की। फर्जी वेबसाइट को तुरंत गूगल से हटा दिया गया और उम्मीदवारों के आगे शोषण को रोकने के लिए क्यूआर कोड को भी निष्क्रिय कर दिया गया।
डॉ. सुमिता मिश्रा ने पुलिस द्वारा की गई त्वरित कार्रवाई की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह मामला साइबर अपराध से निपटने में हरियाणा प्रशासन के सक्रिय दृष्टिकोण को दर्शाता है।
उन्होंने बताया कि जांच को तेज करने के लिए साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन ने तीन विशेष टीमें बनाई हैं। अब तक गोरखपुर से चार, कुरुक्षेत्र से एक और फतेहाबाद से एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है। मोबाइल फोन, बैंक अकाउंट डिटेल और अन्य डिजिटल साक्ष्यों की गहन जांच की जा रही है। साइबर विशेषज्ञों के अनुसार इस घोटाले के जरिए करीब 77 अभ्यर्थियों से करीब 22,530 रुपये ठगे गए हैं।
जांच का नेतृत्व कर रही डीसीपी सृष्टि गुप्ता ने स्पष्ट चेतावनी जारी की, ‘हम सभी उम्मीदवारों को सलाह देते हैं कि वे केवल '-gov-in' डोमेन वाली आधिकारिक वेबसाइट का उपयोग करें और क्यूआर कोड या यूपीआई आईडी के माध्यम से भुगतान करने से बचें। हमारे युवाओं की आकांक्षाओं का शोषण करने वाले किसी भी व्यक्ति को सख्त कानूनी परिणामों का सामना करना पड़ेगा।‘उन्होंने कहा ‘यदि किसी अभ्यर्थी को कोई संदिग्ध लिंक या भुगतान अनुरोध मिलता है, तो उन्हें तुरंत नजदीकी पुलिस स्टेशन या साइबर अपराध हेल्पलाइन पर मामले की सूचना देनी चाहिए।
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