परगट सिंह का सुझाव- बीज और राइट टू बिजनैस संशोधन बिल में पर्यावरण और मजदूरों के हकों को नंजरअंदाज न करे आप सरकार
परगट सिंह ने राजनीतिक लड़ाई लड़ने के लिए मुख्यमंत्री मान को दिल्ली जाकर पीएम का घेराव करने की दी सलाह
विधानसभा से वॉकआउट करने वाली सत्ताधारी पार्टी को सरकार चलाने का कोई अधिकार नहीं, आप सरकार ने खोया जनता का विश्वास
खबर खास, चंडीगढ़ :
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव और विधायक पदमश्री परगट सिंह ने पंजाब विधानसभा सत्र के आखिरी दिन पंजाब को बाढ़ में धकेलने वाले भाखड़ा ब्यास मैनेजमैंट बोर्ड (बीबीएमबी) और भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की पूरजोर मांग की है। उन्होंने कहा कि पंजाब के साथ धक्का करने वाली इन दोनों एजेंसियों के खिलाफ पूरी जांच होनी चाहिए, ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके।
उन्होंने इसके अलावा विधानसभा में पास किए गए संशोधित बिलों की खामियों को भी सरकार के सामने पेश किया और सरकार को इन पर दोबारा विचार करने की अपील भी की। बीज और राइट टू बिजनैस संशोधन बिल में पर्यावरण और मजदूरों के हकों को नंजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। साथ ही आम लोगों और किसानों पर इसका बुरा असर न पड़े।
उन्होंने मुद्दा उठाया कि बीबीएमबी की मानमानी और मौसम विभाग की गलत भविष्यवाणियों ने पंजाब को बर्बादी कर दिया। बीबीएमबी ने गलत फैसले लिए और मौसम विभाग की भविष्यवाणी में 500 फीसदी से लेकर 1900 फीसदी की वेरिएशन आई। इसलिए इन दोनों एजेंसियों पर एफआईआर दर्ज कर जांच होनी बहुत जरूरी है। कहा कि हमसे पहले तो हिमाचल प्रदेश ने बीबीएमबी पर एफआईआर दर्ज कर दी है।
उन्होंने कहा कि अगर बीबीएमबी ने हमें पानी पूरा नहीं देना है तो उनके खिलाफ आगे बढ़कर लड़ाई लड़नी होगी। पंजाब के लिए अपना डैम सेफ्टी एक्ट लाने के लिए कौन रोक रहा है। एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाकर बात नहीं बनेगी। उन्होंने मुख्यमंत्री भगवंत मान को हैल्थी और साकारात्मक राजनीति करने की सलाह दी और दिल्ली चलकर प्रधानमंत्री का घेराव करने की बात कही। दिल्ली जाकर लड़ाई नहीं लड़ेंगे तो पंजाब के पल्ले केंद्र सरकार कुछ नहीं डालेगी। इस मुद्दे पर चुप कर नहीं बैठना चाहिए, इस बात को बढ़ाना होगा।
परगट सिंह ने कहा कि आम आदमी पार्टी की कथनी और करनी में फर्क है। विधानसभा के अंदर और बाहर अलग-अलग बातें करते हैं। उन्होंने कहा कि अगर सरकार खुद ही विधानसभा में तख्तियां लेकर वॉकआउट करती है तो ऐसी सत्ताधारी पार्टी को सरकार चलाने का कोई अधिकार नहीं है। इससे साफ जाहिर है कि वह सरकार जनता का विश्वास खो चुकी है।
उन्होंने कहा कि बिहार में चुनाव है तो वहां 7200 करोड़ रुपए जारी कर दिए गए और बाढ़ में बर्बाद हो चुके पंजाब के लिए राहत राशि के नाम पर मात्र 1600 करोड़ रुपए ही घोषित किए गए। उन्होंने चेताया कि बाढ़ राहत के 1600 करोड़ रुपए पर भी केंद्र सरकार राजनीति कर रही है।
सत्र में संशोधित बिलों पर बोले परगट सिंह-
पंजाब राइट टू बिनजैस बिल पर उन्होंने कहा कि सैक्शन 12 में कहा गया है कि कुछ और कानूनों को पास माना जाए। फैक्टरी एक्ट, एयर एक्ट और वाटर एक्ट भी आते हैं। क्या केंद्र के इन एक्ट को संशोधित करने की इस विधानसभा के पास पावर है। बिल्कुल नहीं है। इसलिए इन एक्ट को सोच विचार करके पास किया जाना चाहिए, ताकि कल यह चैलेंज न हो जाएं। इस एक्ट के नीचे हमें वातावरण और मजदूरों के हकों की समीक्षा भी कर लेनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि बीज एक्ट पर बोले- सजाएं सख्त करना ठीक है, लेकिन हमारे पास मैकेनिज्म भी हो होना चाहिए। पहले पीएयू की रिसर्च के बाद पैदावार बढ़ रही थी, लेकिन अब उनके पास न तो स्टाफ है और न ही पूरी रिसर्च हो रही है। सरकार ने पानी प्रदूषण को लेकर रखी गई सख्त सजा को खत्म कर जुर्माने में बदल दिया है, जिसपर दोबारा विचार करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि पंजाब में जंगल सिर्फ 3.27 फीसद रह गया है। हम इंडस्ट्री लाने के चक्कर में जंगल कम करके वातावरण को खतरे में डाल रहे हैं। जिसकी असर हमारे वातावरण और सेहत दोनों पर ही हो रहा है। हरियाणा में भी इस संबंधी संशोधन किए थे, जिसे लागू नहीं कर पाए।
सोसायटी बिल पर परगट सिंह ने कहा कि को-आप्रेटिव सोसायटिज जैसी हैं, उनकी कैपिंग फीस उसी के मुताबिक होनी चाहिए। क्योंकि पहले ही हमारी रजिस्ट्रेशन फीस बहुत ज्यादा है। कमजोर सोसायटीज के लिए कैपिंग फीस स्ट्रक्चर अलह होना बेहतर होगा। इस कैपिंग फीस में उनका नुकसान ज्यादा होगा।
प्रॉपर्टी आपर्टमेंट रेगुलेशन पर बोले कि - 35 फीसदी की गारंटी से छोटे डिवैल्पर पर मार पड़ेगी। बड़े बिल्डर्स अपनी मनर्जी करेंगे। हमें चाहिए कि सारी अथॉरिटीज को समयबद्ध किया जाए। मुझे लगता है कि वह ज्यादा बेहतर हो सकती है। लैंड पुलिंग पॉलिसी को लेकर भी स्पष्टीकरण देना चाहिए कि यह अलग-अलग हैं या इसी का हिस्सा है।
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