इस साल 24 जुलाई को राज्यसभा में एक भाषण के दौरान आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा की तरफ से महाराजा रणजीत सिंह से जुड़ी ऐतिहासिक वस्तुओं को विदेश से भारत वापस लाए जाने का अहम मुद्दा उठाया था।
इस साल 24 जुलाई को राज्यसभा में एक भाषण के दौरान आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा की तरफ से महाराजा रणजीत सिंह से जुड़ी ऐतिहासिक वस्तुओं को विदेश से भारत वापस लाए जाने का अहम मुद्दा उठाया था।
इस मामले में सांसद राघव चड्ढा ने की पहल, राज्यसभा में उठाया था मुद्दा
राज्यसभा में राघव चड्ढा ने महाराजा रणजीत सिंह के शाही सिंहासन की वापसी का मुद्दा उठाया, जिसे ब्रिटेन में रखा गया है
खबर खास, नई दिल्ली :
इस साल 24 जुलाई को राज्यसभा में एक भाषण के दौरान आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा की तरफ से महाराजा रणजीत सिंह से जुड़ी ऐतिहासिक वस्तुओं को विदेश से भारत वापस लाए जाने का अहम मुद्दा उठाया था। वहीं, अब केंद्र सरकार ने एक पत्र लिख कर बताया है कि सरकार महाराजा रणजीत सिंह से जुड़ी वस्तुओं को वापस लाए जाने के लिए प्रयास कर रही है। वहीं राघव चड्ढा की पहल के बाद केंद्र सरकार की तरफ से यह आश्वासन मिलना, भारतीय इतिहास और धरोहरों को संरक्षित करने के राघव चड्ढा के प्रयासों की एक बड़ी जीत है।
24 जुलाई 2024 को राज्यसभा में एक विशेष चर्चा के दौरान, राघव चड्ढा ने ब्रिटेन से महाराजा रणजीत सिंह के शाही सिंहासन को भारत वापस लाने का मुद्दा उठाया था। उन्होंने इसे भारत की सांस्कृतिक धरोहर के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताते हुए और सरकार से आग्रह किया था कि ऐसे सभी प्राचीन और ऐतिहासिक धरोहरों को भारत वापस लाने की प्रक्रिया को तेज किया जाए।
वहीं, संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने राघव चड्ढा को लिखे पत्र में बताया कि स्वतंत्रता के बाद से अब तक 358 ऐतिहासिक वस्तुएं भारत लाई जा चुकी हैं। भारत सरकार, 1972 के प्राचीन धरोहर और पुरावशेष अधिनियम और अंतरराष्ट्रीय समझौतों के तहत इन धरोहरों को वापस लाने की प्रक्रिया में सक्रिय तौर पर जुटी हुई है।
गजेंद्र सिंह शेखावत ने यह भी स्पष्ट किया कि ब्रिटिश काल के दौरान ले जाई गई धरोहरों को वापस लाने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। हालांकि, इसमें विदेश में मौजूद कानून और संबंधित देशों की नीतियां भी अहम भूमिका निभाती हैं। सरकार ने आश्वासन दिया है कि महाराजा रणजीत सिंह से जुड़ी वस्तुओं सहित अन्य महत्वपूर्ण धरोहरों को वापस लाने के लिए राजनयिक माध्यमों का इस्तेमाल किया जाएगा।
वापस लाना हमारी जिम्मेदारी, बोले राघव चड्ढा
इस उपलब्धि पर खुशी जताते हुए सांसद राघव चड्ढा ने कहा, "महाराजा रणजीत सिंह जैसे महान व्यक्तित्व की धरोहरें हमारी संस्कृति और इतिहास का अहम हिस्सा हैं। इन्हें वापस लाना हमारी जिम्मेदारी है और मैं इस महत्वपूर्ण अभियान में अपनी भूमिका निभाकर गर्व महसूस कर रहा हूं।" उन्होंने कहा कि यह प्रयास भारत की सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित करने की दिशा में एक बड़ी पहल है।
धरोहरों की वापसी में राघव चड्ढा की अहम भूमिका
राघव चड्ढा ने अपने भाषण में ऐतिहासिक धरोहरों को भारत वापस लाने की मुहिम को राज्यसभा में जोरशोर से उठाया था। वहीं, उनकी इस पहल को सरकार ने न केवल गंभीरता से लिया, बल्कि इसे क्रियान्वित करने के लिए जरूरी कदम भी उठाए। अपने भाषण में युवा सांसद राघव चड्ढा ने कहा था कि मैं जिस विषय पर बोलने जा रहा हूं, वह पंजाब और पंजाबियों के दिल से जुड़ा हुआ है। मैं एक ऐसे मुद्दे पर बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं, जिसे पंजाब ही नहीं बल्कि पूरे देश की भावनाएं जुड़ी हुई हैं। उन्होंने कहा कि यह मेरा सौभाग्य है कि मैं उस जगह से संबंध रखता हूं, जहां कभी शेर-ए-पंजाब महाराजा रणजीत सिंह का शासन था। उनका शासन असल में सुशासन था, जहां सबको न्याय मिलता था। वह एक ऐसे योद्धा थे जिनसे अच्छों-अच्छों की रूह कांप जाती थी। उन्होंने दुनिया को इंसानियत का पैगाम भी दिया।
महाराजा रणजीत के शासन में धर्म, जात-पात के नाम पर कोई भेदभाव नहीं होता था। उन्होंने बीबीसी विश्व इतिहास सर्वेक्षण का हवाला देते हुए कहा कि एक सर्वे में महाराजा रणजीत सिंह को 'सर्वकालिक महानतम नेता' माना गया है। ऐसे महात्मा को सदन में नमन करता हूं तथा उन्हें याद करते हुए एक मांग रखना चाहूता हूं।
उन्होंने कहा था कि लंदन के विक्टोरिया एंड अल्बर्ट म्यूजियम में महाराजा रणजीत सिंह का सोने का सिंहासन रखा हुआ है। मैं भारत सरकार से मांग करता हूं कि उसे वापस लाने के प्रयास किए जाएं। वह सिंहासन हमारे देश वापस आना चाहिए तथा सभी को उसके दर्शन करने का मौका मिलना चाहिए। मैंने भारत सरकार से यूनाइटेड किंगडम के साथ अपने राजनयिक संबंधों को आगे बढ़ाने का आग्रह किया।
राघव चड्ढा के मुताबिक महाराजा रणजीत सिंह के महान शासन ने पंजाब को एकजुट किया, धर्मनिरपेक्ष मूल्यों, न्याय, समानता, सांस्कृतिक विरासत और सुशासन को बढ़ावा दिया। मैंने यह भी मांग की कि हम अपने इतिहास में महाराजा रणजीत सिंह जी की अविश्वसनीय विरासत और योगदान को अपनी स्कूली पाठ्यपुस्तकों में शामिल करें ताकि छात्र उनकी यात्रा और सुशासन के बारे में जान सकें।
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