गुरुग्राम में महिला मॉक संसद ‘आपातकाल लोकतंत्र का काला अध्याय‘ का हुआ आयोजन देश के प्रधानमंत्री ने आपातकाल में विरोध करने वाले लोकतंत्र सेनानियों का किया सम्मान
गुरुग्राम में महिला मॉक संसद ‘आपातकाल लोकतंत्र का काला अध्याय‘ का हुआ आयोजन देश के प्रधानमंत्री ने आपातकाल में विरोध करने वाले लोकतंत्र सेनानियों का किया सम्मान
खबर खास, चंडीगढ़ :
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि आपातकाल के दौरान लोकतंत्र सेनानियों पर जितने अत्याचार हुए उतने ही अत्याचार महिलाओं ने सहन किए और इस काले दौर का डटकर वीरता से सामना किया। मुख्यमंत्री शनिवार को गुरुग्राम विश्वविद्यालय के सभागार में आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित महिला मॉक पार्लियामेंट में सम्बोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि महिलाओं ने राष्ट्रहित में जो लोकतंत्र प्रहरी के रूप में योगदान दिया वह कभी भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने आह्वान किया कि लोकतंत्र के काले अध्याय को जन-जन तक पहुंचाया जाए ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियां इसे याद रखे और इसके प्रति सचेत रहे।
इस दौरान मुख्यमंत्री ने मॉक पार्लियामेंट की कार्यवाही भी देखी। उन्होंने कहा कि महिला सशक्तिकरण को समर्पित यह मॉक पार्लियामेंट सेशन आपातकाल के दौरान महिलाओं पर हुए अत्याचार को याद करते हुए उनके त्याग को सलाम करने का दिन है। उन्होंने आपातकाल में अत्याचार का विरोध करने वाले लोकतंत्र सेनानियों को सम्मानित भी किया। सम्मानित होने वालो में प्रदेश अध्यक्ष लोकतंत्र सेनानी संगठन महावीर भारद्वाज, एसबी गुप्ता और श्रीचंद गुप्ता शामिल रहे।
लोकतंत्र की हत्या करने वालों के खिलाफ महिलाओं की भूमिका सराहनीय
सैनी ने कहा कि जब देश में आपातकाल लगाया गया उस समय न तो देश में कोई अस्थिरता थी और न ही कोई प्राकृतिक आपदा थी परंतु कांग्रेस की सरकार द्वारा अपनी स्वार्थ पूर्ति व संकुचित मानसिकता के लिए देश के लोगों पर जबदस्ती आपातकाल को थोपा गया। आज से 50 वर्ष पूर्व लगे आपातकाल में केवल राजनीतिक अधिकारों का ही हनन नहीं हुआ बल्कि महिलाओं की स्वतंत्रता, उनकी गरिमा, उनके अधिकारों पर सबसे क्रूर हमला हुआ।महिलाओं को जेलों में बंद किया गया। उनकी आवाज को दबाया गया और उन्हें घरों में कैद कर दिया गया। केवल इसलिए कि वे सरकार के अन्याय के खिलाफ बोलना चाहती थीं। यह वही समय था, जब लोकतंत्र के साथ नारी गरिमा का भी गला घोंटा गया।
उन्होंने कहा कि ‘महिला मॉक संसद‘ जैसे महत्वपूर्ण और विचारशील कार्यक्रम का आयोजन उस दौरान हुए अमानवीय कृत्य को याद करने का दिन है। उन्होंने कहा कि आपातकाल लोकतंत्र का काला अध्याय रहा है और अंग्रेजों से बढ़कर आपातकाल में हर जनमानस पर अत्याचार हुए। आपातकाल के बाद के आम चुनावों में महिलाओं ने पहले की अपेक्षा बढ़-चढ़कर भाग लिया। महिलाओं द्वारा आपातकाल के दौरान निभाई गई जिम्मेदारी सराहनीय है।
आपातकाल में संविधान को कुचलने का काम हुआ
मुख्यमंत्री ने कहा कि आपातकाल में संविधान को रौंदने का काम किया गया। यह कोई साधारण विषय नहीं है। यह हमें उस दौर की याद दिलाता है, जब पूरे देश की आवाज को कुचलने की कोशिश की गई थी। यह उस दौर की बात है, जब संविधान को ताक पर रखकर एक परिवार की सत्ता को बचाने के लिए देश को जेल बना दिया गया था। आज, जब इतनी जागरूक माताएं-बहनें बैठी हैं, तो मुझे पूरा विश्वास है कि इस देश की लोकतांत्रिक चेतना को कोई फिर से कोई कुचल नहीं सकता। उन्होंने कहा कि संविधान का दुरुपयोग कर आपातकाल 25 जून, 1975 की रात को लागू किया गया। जिसके कारण हर जन के अधिकारों पर अंकुश लगाया गया।
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