कार्यस्थल उत्पीड़न की शिकायतों के लिए एक सुरक्षित माध्यम, शी-बॉक्स
कार्यस्थल उत्पीड़न की शिकायतों के लिए एक सुरक्षित माध्यम, शी-बॉक्स
खबर खास, चंडीगढ़ :
हरियाणा के गृह विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुमिता मिश्रा ने केंद्रीय गृह मंत्रालय और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित प्रमुख महिला एवं बाल कल्याण योजनाओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए राज्य के सभी विभागों और क्षेत्रीय कार्यालयों में गहन प्रयास करने का आह्वान किया है।
इस व्यापक अभियान के तहत हरियाणा सरकार बाल विवाह को समाप्त करने के लिए बाल विवाह मुक्त भारत अभियान को ज़ोरदार तरीके से बढ़ावा दे रही है। शिकायत दर्ज करने और निगरानी के लिए ऑनलाइन पोर्टल शुरू किए गए हैं, जिससे रिपोर्टिंग आसान और अधिक पारदर्शी हो गई है। कार्यस्थलों पर, यौन उत्पीड़न इलेक्ट्रॉनिक बॉक्स (शी-बॉक्स) पोर्टल (https://shebox.wcd.gov.in/) महिलाओं को शिकायत दर्ज करने और समय पर निवारण प्राप्त करने के लिए एक सुरक्षित और गोपनीय माध्यम प्रदान करता है।
डॉ. मिश्रा ने इस बात पर ज़ोर दिया कि ये पहल राज्य भर में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा, संरक्षा और सशक्तिकरण सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने निर्देश दिया कि जिला और राज्य स्तर पर अधिकारियों को जागरूकता अभियानों, सामुदायिक आउटरीच, सेमिनारों और सार्वजनिक कार्यक्रमों के माध्यम से इन कार्यक्रमों को सक्रिय रूप से उजागर करना चाहिए ताकि इनकी दृश्यता और प्रभाव अधिकतम हो सके।
कार्यान्वयन को सुदृढ़ करने के लिए राज्य सरकार ने हरियाणा के 33 महिला थानों में जिला संरक्षण अधिकारी (डीपीओ) नियुक्त किए हैं, जिनमें प्रत्येक जिले में एक डीपीओ होगा। ये अधिकारी घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम और अन्य महिला-केंद्रित कानूनों का प्रभावी प्रवर्तन सुनिश्चित करेंगे। वे पुलिस अधिकारियों, कानूनी सेवा संस्थानों और आश्रय गृहों के साथ घनिष्ठ समन्वय करते हुए संकटग्रस्त महिलाओं को तत्काल सहायता, परामर्श और कानूनी सहायता भी प्रदान करेंगे।
इस अभियान का केंद्र वन-स्टॉप सेंटर (ओएससी) हैं, जो हिंसा या संकट का सामना कर रही महिलाओं के लिए एकीकृत सेवाएं प्रदान करते हैं। चिकित्सा सहायता और कानूनी सहायता से लेकर अस्थायी आश्रय और मनोसामाजिक परामर्श तक, ओएससी एक ही छत के नीचे व्यापक सहायता प्रदान करते हैं। इनके पूरक के रूप में महिला हेल्पलाइन (181) और चाइल्ड हेल्पलाइन (1098) हैं, जो अब राष्ट्रीय आपातकालीन प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली (ईआरएसएस-112) से जुड़ी हैं, जिससे राज्य भर में तेज़ और अधिक प्रभावी हस्तक्षेप सुनिश्चित होता है।
डॉ. मिश्रा ने इस बात पर प्रकाश डाला कि अतिरिक्त वित्तीय सहायता और सुरक्षित आवास योजनाओं का विस्तार किया जा रहा है, जिसमें असुरक्षित परिस्थितियों में महिलाओं के पुनर्वास के लिए शक्ति सदनों की स्थापना और कामकाजी महिलाओं के लिए सखी निवास छात्रावासों की स्थापना शामिल है। इसके अलावा, पूंजी निवेश के लिए राज्यों को विशेष सहायता (एसएएससीआई) योजना के तहत औद्योगिक केंद्रों में कामकाजी महिला छात्रावासों के निर्माण से पूरे हरियाणा में महिलाओं के लिए आर्थिक समावेशन, रोज़गार के अवसर और सुरक्षा को बढ़ावा मिलेगा।
उन्होंने निर्देश दिया कि अस्पतालों, पुलिस थानों, बस अड्डों, रेलवे स्टेशनों, सरकारी कार्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों में हेल्पलाइन, ओएससी और अन्य सहायता तंत्रों की जानकारी प्रमुखता से प्रदर्शित की जानी चाहिए। जिलाधिकारियों, पुलिस अधीक्षकों और अन्य क्षेत्रीय अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं कि इन सेवाओं का व्यापक प्रचार-प्रसार हो और सभी के लिए ये आसानी से सुलभ हों।
इसके अलावा, डॉ. मिश्रा ने उच्च-गुणवत्ता वाली सेवा वितरण व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिला-स्तरीय अधिकारियों द्वारा ओएससी और बाल संरक्षण इकाइयों के संयुक्त निरीक्षण के महत्व पर बल दिया। स्कूलों और कॉलेजों को भी कम उम्र से ही जागरूकता पैदा करने के लिए अपने पाठ्यक्रम में साइबर सुरक्षा, महिला अधिकारों और बाल संरक्षण पर मॉड्यूल को शामिल करने के लिए कहा गया है।
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