पंजाब के राज्यपाल और चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया की अध्यक्षता में, जोशी फाउंडेशन, खन्ना फाउंडेशन, ग्रेवाल फाउंडेशन और संपला फाउंडेशन के सहयोग से पंजाब के शिक्षाविदों के साथ नशे के खिलाफ जागरूकता पर पंजाब राज भवन में एक संवाद सत्र आयोजित किया गया।
कहा, माता-पिता और शैक्षणिक संस्थानों को नशे के खिलाफ संघर्ष में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए
पंजाब राज भवन द्वारा पंजाब के शिक्षाविदों के साथ नशा रोकथाम पर एक संवाद सत्र का आयोजन
खबर खास, चंडीगढ़ :
पंजाब के राज्यपाल और चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया की अध्यक्षता में, जोशी फाउंडेशन, खन्ना फाउंडेशन, ग्रेवाल फाउंडेशन और संपला फाउंडेशन के सहयोग से पंजाब के शिक्षाविदों के साथ नशे के खिलाफ जागरूकता पर पंजाब राज भवन में एक संवाद सत्र आयोजित किया गया।
कार्यक्रम के दौरान लगभग 50 विश्वविद्यालयों, स्कूलों और अन्य उच्च शिक्षा संस्थानों के शिक्षाविदों ने अपने विचार साझा किए और पंजाब में नशे की समस्या का प्रभावी समाधान निकालने हेतु पूर्ण सहयोग का संकल्प लिया। शिक्षाविदों ने राज्यपाल को अपने परिसरों में आयोजित विभिन्न जागरूकता गतिविधियों की जानकारी दी, जिनके परिणामस्वरूप युवाओं में नशे की लत में कमी देखने के मिली है।
अपने संबोधन में पंजाब के राज्यपाल ने नशे की समस्या को एक गंभीर सामाजिक बुराई बताते हुए कहा कि यह सिर्फ एक क्षेत्रीय समस्या नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय संकट बन चुकी है, जो विशेष रूप से पंजाब में गंभीर चिंता का कारण बन गई है। उन्होंने कहा, ‘‘नशे के खिलाफ यह युद्ध केवल समाज के सभी वर्गों, जिनमें सरकार, सामाजिक संगठनों, शैक्षिक संस्थानों, गैर-सरकारी संगठनों और अन्य संबंधित पक्षों का संयुक्त प्रयास शामिल है, के माध्यम से ही जीता जा सकता है। कानूनों का कार्यान्वन महत्वपूर्ण है, लेकिन केवल इसके द्वारा ही समस्या का समाधान नहीं हो सकता। समाज के सभी वर्गों में भी जागरूकता फैलाना महत्वपूर्ण है।’’
राज्यपाल ने नशे की लत के खतरों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए आधुनिक संचार उपकरणों, जैसे कि सोशल मीडिया, के उपयोग की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि इस सामाजिक बुराई के खिलाफ सामूहिक प्रतिक्रिया उत्पन्न करने के लिए सार्वजनिक मार्च और सामुदायिक अभियान आयोजित किए जाने चाहिए।
राज्यपाल कटारिया ने वर्तमान में सिंथेटिक ड्रग्स की लहर से उत्पन्न विशिष्ट चुनौतियों को स्वीकार करते हुए उन्हें पारंपरिक नशीले पदार्थों से कहीं अधिक खतरनाक और घातक बताया। उन्होंने यह भी कहा कि यह अब असामाजिक और राष्ट्र विरोधी तत्वों के लिए एक लाभकारी कारोबार बन चुका है, जिससे इस समस्या से निपटने के लिए एक केंद्रीकृत और एकजुट दृष्टिकोण की आवश्यकता और भी अधिक हो गई है।
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