* इस अनुदान के तहत भारत सरकार द्वारा जेएनयू के नेतृत्व वाली टीम को कुल 100 करोड़ प्राप्त होंगे, जिसमें से सीयू पंजाब को लगभग 14 करोड़ की अनुदान राशि मिलने की संभावना है।
* इस अनुदान के तहत भारत सरकार द्वारा जेएनयू के नेतृत्व वाली टीम को कुल 100 करोड़ प्राप्त होंगे, जिसमें से सीयू पंजाब को लगभग 14 करोड़ की अनुदान राशि मिलने की संभावना है।
खबर खास, बठिंडा/नई दिल्ली :
गुणवत्तापूर्ण शोध और नवाचार के माध्यम से देश के अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने और महत्वपूर्ण विषयों पर सहयोगात्मक अनुसंधान को प्रोत्साहित करने के निरंतर प्रयासों के अंतर्गत, पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयू पंजाब) तथा पाँच अन्य साझेदार संस्थानों की टीम को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू), नई दिल्ली के नेतृत्व में राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (एएनआरएफ) - पीएआईआर (त्वरित नवाचार और अनुसंधान के लिए भागीदारी) अनुदान के लिए चयनित किया गया है।
इस एएनआरएफ-पीएआईआर अनुदान परियोजना के तहत विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जेएनयू के नेतृत्व वाली टीम को कुल ₹100 करोड़ की अनुदान राशि प्रदान की जाएगी, जिसमें से सीयू पंजाब को लगभग ₹14 करोड़ की अनुदान राशि मिलने की संभावना है।
एएनआरएफ-पीएआईआर पहल भारत की उच्च शिक्षा और अनुसंधान प्रणाली को सशक्त करने हेतु शुरू की गई है। इसका उद्देश्य नवाचार को बढ़ावा देना, अनुसंधान क्षमताओं का निर्माण करना और क्षेत्रीय उत्कृष्टता को प्रोत्साहित करना है।
इस परियोजना के अंतर्गत जेएनयू हब संस्थान के रूप में कार्य करेगा तथा सीयू पंजाब सहित अन्य शैक्षणिक संस्थानों का नेतृत्व करेगा। सीयू पंजाब को पाँच स्पोक संस्थानों में से एक के रूप में चयनित किया गया है। अन्य स्पोक संस्थानों में दिल्ली फार्मास्युटिकल साइंसेज़ एंड रिसर्च यूनिवर्सिटी, तेज़पुर विश्वविद्यालय, कॉटन यूनिवर्सिटी, और बेहरामपुर यूनिवर्सिटी शामिल हैं।
इस अनुदान के लिए प्रस्ताव जमा कराने हेतु एनआईआरएफ रैंकिंग के आधार पर कुल 30 शोध हब संस्थानों को शॉर्टलिस्ट किया गया था, जिनमें प्रत्येक के साथ स्पोक संस्थान जुड़े हुए थे। जेएनयू के नेतृत्व वाली टीम द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव को सभी में श्रेष्ठ पाया गया और बेंगलुरु में आयोजित प्रत्यक्ष प्रस्तुतियों के आधार पर इसका चयन किया गया। सभी साझेदार संस्थानों के शिक्षकों ने इस प्रस्ताव के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
इस अत्यंत प्रतिस्पर्धी श्रेणी ‘ए’ फंडिंग के अंतर्गत केवल सात हब संस्थानों का चयन हुआ है। इनमें तीन आईआईटी, एक एनआईटी, भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) और दो केंद्रीय विश्वविद्यालय—जेएनयू और हैदराबाद विश्वविद्यालय (एचसीयू) शामिल हैं।
इस उपलब्धि पर पंजाब केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राघवेंद्र प्रसाद तिवारी ने प्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि यह उपलब्धि हमारे विश्वविद्यालय की शैक्षणिक और अनुसंधान क्षमताओं में हो रही निरंतर प्रगति का प्रमाण है। देश के कुछ सर्वश्रेष्ठ संस्थानों के साथ इस प्रतिष्ठित समूह का हिस्सा बनना हमारे राष्ट्रीय अनुसंधान परिदृश्य में सार्थक योगदान देने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। एक स्पोक संस्थान के रूप में सीयू पंजाब उच्च प्रभाव वाले अनुसंधान प्रोजेक्ट्स में सक्रिय रूप से भाग लेगा और जेएनयू के मार्गदर्शन में अपने अनुसंधान इकोसिस्टम को सुदृढ़ करेगा। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि सीयू पंजाब इस परियोजना के तीनों प्रमुख शोध क्षेत्रों—एडवांस्ड मटीरियल्स (नेतृत्व: प्रो. एस.के. महापात्र), पर्यावरणीय स्थिरता (नेतृत्व: प्रो. के.एन. योगलक्ष्मी), तथा मॉलिक्यूलर एंड सिंथेटिक बायोलॉजी (नेतृत्व: प्रो. ए.के. मंथा)—में सक्रिय भागीदारी निभाएगा। इस परियोजना में प्रो. आर.के. वुसुरिका, डीन इंचार्ज अकादमिक सीयू पंजाब के परियोजना अन्वेषक के रूप में कार्यरत हैं। कुलपति प्रो. तिवारी ने विश्वविद्यालय के सभी संकाय सदस्यों और शोधकर्ताओं को बधाई दी, जिनके अथक प्रयासों से यह उपलब्धि संभव हो सकी है।
प्रो. आर.के. वुसिरिका, डीन इंचार्ज अकादमिक, ने कहा कि पीएआईआर ग्रांट से विश्वविद्यालय को महत्वपूर्ण वित्तीय सहयोग प्राप्त होगा, साथ ही यह स्थानीय, राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर बहुविषयक अनुसंधान के लिए मार्ग प्रशस्त करेगी। सीयू पंजाब का इस राष्ट्रीय स्तर के शोध नेटवर्क में शामिल होना, इसकी बढ़ती अकादमिक प्रतिष्ठा और अनुसंधान एवं नवाचार में उत्कृष्टता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
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