उन्होंने बताया कि बढ़ता तापमान, बदलता मौसम और कठोर मौसम की घटनाएं मच्छरों, टिक और सैंडफ्लाई जैसे कीटों के रहने की जगह बढ़ा रही हैं। इससे मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया जैसी बीमारियाँ नए इलाकों में फैल रही हैं।
उन्होंने बताया कि बढ़ता तापमान, बदलता मौसम और कठोर मौसम की घटनाएं मच्छरों, टिक और सैंडफ्लाई जैसे कीटों के रहने की जगह बढ़ा रही हैं। इससे मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया जैसी बीमारियाँ नए इलाकों में फैल रही हैं।
खबर खास, बठिंडा :
पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय, बठिंडा में एक खास व्याख्यान श्रृंखला का आयोजन हुआ। इसमें तमिलनाडु केंद्रीय विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और वेक्टर जनित रोगों के जानकार प्रो. ए.पी. दाश मुख्य वक्ता थे।
पहले सत्र का आयोजन सूक्ष्मजीव विज्ञान विभाग ने किया। इस सत्र में प्रो. दास ने "वेक्टर जनित रोगों पर जलवायु परिवर्तन का असर" पर बात की। उन्होंने बताया कि बढ़ता तापमान, बदलता मौसम और कठोर मौसम की घटनाएं मच्छरों, टिक और सैंडफ्लाई जैसे कीटों के रहने की जगह बढ़ा रही हैं। इससे मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया जैसी बीमारियाँ नए इलाकों में फैल रही हैं। उन्होंने कहा कि इन बीमारियों से बचने के लिए इंसानों, जानवरों और पर्यावरण के स्वास्थ्य का साथ मिलकर ध्यान रखना जरूरी है। इसके लिए मजबूत निगरानी, सही भविष्यवाणी, जागरूकता और सभी क्षेत्रों का सहयोग आवश्यक है।
दूसरे सत्र का आयोजन आंतरिक गुणवत्ता सुनिश्चयन प्रकोष्ठ (आईक्यूएसी) ने किया। इस सत्र में प्रो. दाश ने "एनईपी -2020 के संदर्भ में अनुसंधान और नवाचार" पर चर्चा की। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत बनाए जाने वाले अनुसंधान राष्ट्रीय फाउंडेशन (एएनआरएफ) के बारे में बताया। यह फाउंडेशन शिक्षा, उद्योग और वैश्विक साझेदारी को बढ़ावा देगा और भारत को 2047 तक विकसित बनाने के लिए महत्वपूर्ण मिशन पर काम करेगा।
प्रो. दास ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में बहु-विषयक शिक्षा, लचीले पाठ्यक्रम और व्यावसायिक व शैक्षणिक धाराओं के मिश्रित अध्ययन पर भी जोर दिया। उन्होंने बताया कि उच्च शिक्षा संस्थानों को तीन प्रकारों में बांटा जाएगा – शोध-प्रधान विश्वविद्यालय, शिक्षण-प्रधान विश्वविद्यालय और स्वायत्त डिग्री देने वाले कॉलेज। उन्होंने शिक्षकों को छात्र-छात्राओं को बहुविषयक प्रोजेक्ट्स में मार्गदर्शन देने और सार्वजनिक स्वास्थ्य, जलवायु परिवर्तन व नई तकनीकों जैसे क्षेत्रों में शोध करने के लिए प्रेरित किया।
डीन इंचार्ज अकादमिक प्रो. आर. के. वुसुरिका ने अपने स्वागत संबोधन में कहा कि विश्वविद्यालय की सभी योजनाएं राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के दिशा-निर्देशों के अनुरूप बनानी चाहिए। कार्यक्रम के अंत में, आईक्यूएसी निदेशक प्रो. मोनिशा धीमान ने प्रो. दास के सारगर्भित और व्यावहारिक व्याख्यानों के लिए आभार व्यक्त किया। विभिन्न विभागों के शिक्षक, शोधकर्ता और छात्र-छात्राओं ने इन सत्रों में सक्रिय रूप से भाग लिया।
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