पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयू पंजाब) में सामाजिक विज्ञान विद्यापीठ के अंतर्गत संचालित इतिहास विभाग द्वारा मंगलवार को "छत्रपति शिवाजी महाराज: आधुनिक भारत के संस्थापक" शीर्षक से दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन समारोह आयोजित किया गया। भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद (आईसीएचआर), नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित इस सम्मेलन का उद्देश्य युवा पीढ़ी को छत्रपति शिवाजी महाराज के दूरदर्शी नेतृत्व, सैन्य कौशल, सामाजिक सुधारों और शासन कला से परिचित कराना है।
खबर खास, बठिंडा:
पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयू पंजाब) में सामाजिक विज्ञान विद्यापीठ के अंतर्गत संचालित इतिहास विभाग द्वारा मंगलवार को "छत्रपति शिवाजी महाराज: आधुनिक भारत के संस्थापक" शीर्षक से दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन समारोह आयोजित किया गया। भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद (आईसीएचआर), नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित इस सम्मेलन का उद्देश्य युवा पीढ़ी को छत्रपति शिवाजी महाराज के दूरदर्शी नेतृत्व, सैन्य कौशल, सामाजिक सुधारों और शासन कला से परिचित कराना है।
सम्मेलन की शुरुआत एक उद्घाटन सत्र से हुई जिसमें सामाजिक कार्यकर्ता और विद्या भारती के उत्तर क्षेत्र संगठन मंत्री विजय नड्डा मुख्य वक्ता के रूप में, जबकि द पंजाब पल्स न्यूज़ के मुख्य संपादक और भारतीय रक्षा और सुरक्षा मामलों के विश्लेषक कर्नल (सेवानिवृत्त) जयवंश सिंह मुख्य अतिथि के रूप में सम्मिलित हुए।
मुख्य वक्ता नड्डा ने शिवाजी महाराज के नेतृत्व का गहन विश्लेषण प्रस्तुत करते हुए उनके दूरदर्शी शासन और सैन्य प्रतिभा को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि कैसे 17वीं सदी में राजा शिवाजी ने औरंगजेब सहित अन्य मुगलों का सामना करने के बाद पश्चिमी महाराष्ट्र में अपना राज्य बनाया। वर्ष 1674 में शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक के बाद मुगल साम्राज्य कमजोर पड़ा और लोगों को विद्रोह के लिए प्रेरणा मिली। नड्डा ने अफजल खान, जय सिंह और औरंगजेब के साथ शिवाजी की मुठभेड़ों का उल्लेख करते हुए बताया कि उनकी अभिनव कूटनीतिक रणनीतियों, सैन्य रणनीति (जिसमें गुरिल्ला युद्ध भी शामिल है), राजनीतिक कौशल और नौसेना की ताकत ने भारत में आधुनिक रक्षा रणनीतियों की नींव रखी।
मुख्य अतिथि कर्नल (सेवानिवृत्त) जयवंश सिंह ने बताया कि शिवाजी महाराज को न केवल एक महान योद्धा और सैन्य रणनीतिकार के रूप में, बल्कि एक ऐसे नेता के रूप में भी जाना जाता हैं जिन्होंने भारत में राष्ट्रवाद, कल्याण और लोकतंत्र के मूल्यों को स्थापित किया। उन्होंने न्याय, आत्मनिर्भरता और संप्रभुता पर आधारित एक अनुशासित सशस्त्र थलसेना के निर्माण और मराठा नौसेना के माध्यम से समुद्री सुरक्षा में अग्रणी भूमिका निभाने में शिवाजी की भूमिका पर जोर दिया।
सत्र की अध्यक्षता डीन इंचार्ज अकादमिक प्रो. आर.के. वुसिरिका ने की, जिन्होंने इस बात पर बल दिया कि छत्रपति शिवाजी महाराज न केवल एक महान योद्धा और दूरदर्शी नेता थे, बल्कि एक गहरे मानवीय प्रशासक भी थे। वह अपने नैतिक शासन, महिलाओं के प्रति सम्मान, धार्मिक सहिष्णुता और न्याय के लिए प्रसिद्ध थे। प्रो. आर.के. वुसिरिका ने युवाओं को ऐसे महान नेताओं के जीवन और दर्शन से सीखने के लिए प्रेरित किया।
इस सम्मेलन के पहले दिन चार तकनीकी सत्र आयोजित किए गए, जिनमें शोधार्थियों और विशेषज्ञों ने छत्रपति शिवाजी महाराज: राष्ट्र निर्माता, शासन और प्रशासनिक उत्कृष्टता; शिवाजी महाराज के युग में सैन्य प्रतिभा और रणनीतिक नीति; और उनके द्वारा किए गए सामाजिक सुधारों और दृष्टिकोण पर चर्चा की। सम्मेलन का समापन सत्र बुधवार को आयोजित किया जाएगा।
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