यह संवाद सत्र राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी–2020) एवं भारतीय ज्ञान परंपरा के मूल्यों पर आधारित शिक्षण-अधिगम प्रणाली को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल रही।
यह संवाद सत्र राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी–2020) एवं भारतीय ज्ञान परंपरा के मूल्यों पर आधारित शिक्षण-अधिगम प्रणाली को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल रही।
खबर खास, बठिंडा :
पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयू पंजाब) में नए शैक्षणिक सत्र के शुभारंभ के अवसर पर एक विशेष संकाय संवाद सत्र का आयोजन किया गया। यह संवाद सत्र राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी–2020) एवं भारतीय ज्ञान परंपरा के मूल्यों पर आधारित शिक्षण-अधिगम प्रणाली को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल रही।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राघवेंद्र प्रसाद तिवारी ने संकाय सदस्यों को संबोधित करते हुए विद्यार्थियों में जिज्ञासा, रचनात्मकता और शोध-उन्मुख दृष्टिकोण को विकसित करने हेतु प्रेरित किया, ताकि उनका समग्र विकास सुनिश्चित किया जा सके।
कुलपति प्रो. तिवारी ने विश्वविद्यालय के एच-इंडेक्स 110 से अधिक होने की उपलब्धि को संस्थान की शोध उन्नति का प्रमाण बताते हुए संकाय एवं शोधार्थियों के समर्पण की सराहना की। उन्होंने संकाय सदस्यों से अंतरविषयक एवं बहुविषयक शोध को अपनाने का आग्रह किया, जिससे विश्वविद्यालय की शोध उपलब्धियाँ—जैसे पेटेंट, प्रायोजित परियोजनाएँ एवं गुणवत्ता शोध प्रकाशन—और अधिक सशक्त हों। उन्होंने यह भी कहा कि शोध केवल प्रकाशन तक सीमित न रहे, बल्कि उद्यमिता को भी प्रोत्साहित करे।
उन्होंने शिक्षण में नवाचार और लर्नर-सेंट्रिक दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता पर बल देते हुए व्हाट्सऐप चर्चाएँ, परियोजना-आधारित शिक्षण, मिश्रित शिक्षण मॉडल और सतत (फ़ॉर्मेटिव) मूल्यांकन जैसी पद्धतियों को अपनाने की बात कही। उन्होंने कहा कि कौशल विकास पाठ्यक्रम का अनिवार्य घटक होना चाहिए, जिससे छात्र राष्ट्र निर्माण में सक्रिय योगदान दे सकें। प्रो. तिवारी ने स्पष्ट किया कि परिणाम-आधारित पाठ्यक्रम तभी प्रभावी हो सकता है जब उसके स्नातक गुण (Graduate Attributes), कार्यक्रम एवं पाठ्यक्रम अधिगम-परिणाम, शिक्षण वितरण पद्धतियाँ और मूल्यांकन तकनीकें विद्यार्थियों को स्मरण, समझ, अनुप्रयोग, विश्लेषण, मूल्यांकन और सृजन के छह संज्ञानात्मक स्तरों तक ले जाएं।
विश्वविद्यालय के भविष्य की विकास योजना साझा करते हुए कुलपति ने पंजाब एवं देश के युवाओं को गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा के अधिक अवसर प्रदान करने का संकल्प व्यक्त किया। उन्होंने विश्वविद्यालय को निकट भविष्य में एनआईआरएफ रैंकिंग के शीर्ष 50 संस्थानों में स्थान दिलाने का लक्ष्य भी रखा।
कुलपति के प्रेरणादायक संबोधन के उपरांत, सम-कुलपति प्रो. किरण हजारिका ने संकाय सदस्यों से गुरुकुल प्रणाली की श्रेष्ठ परंपराओं को आधुनिक संदर्भ में पुनः खोजने और उन्हें आज के शैक्षणिक वातावरण में लागू करने के अभिनव तरीकों की खोज करने का आग्रह किया। उन्होंने शिक्षा के चार आधारभूत स्तंभों— जानना सीखना, करना सीखना, होना सीखना, और साथ मिलकर रहना सीखना—के महत्व को रेखांकित किया, ताकि विश्वविद्यालय में समग्र, समावेशी एवं सहानुभूतिपूर्ण शैक्षणिक वातावरण का निर्माण किया जा सके।
इस संवाद सत्र में विश्वविद्यालय के स्कूलों के डीन, विभागाध्यक्ष एवं बड़ी संख्या में संकाय सदस्य उपस्थित रहे। कार्यक्रम ने सभी प्रतिभागियों को शैक्षणिक गुणवत्ता को ऊंचाई देने एवं छात्र-केंद्रित शिक्षा को बढ़ावा देने हेतु प्रेरित किया।
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