* इस मिशन के लिए निजी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों ने 1200 से अधिक बेड देने की इच्छा जताई * मिशन में शामिल होने के इच्छुक संस्थानों के लिए वित्तीय सहायता और नीतिगत सहायता की घोषणा
* इस मिशन के लिए निजी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों ने 1200 से अधिक बेड देने की इच्छा जताई * मिशन में शामिल होने के इच्छुक संस्थानों के लिए वित्तीय सहायता और नीतिगत सहायता की घोषणा
खबर खास, चंडीगढ़ :
पंजाब सरकार के ‘युद्ध नशों विरुद्ध’ मुहिम को तब बड़ा प्रोत्साहन मिला, जब नशा मुक्ति सुविधाओं के विस्तार के लिए राज्य भर के नर्सिंग कॉलेजों और उनसे संबद्ध अस्पतालों ने पंजाब सरकार को पूरा समर्थन देने की पेशकश की। उल्लेखनीय है कि नशों के विरुद्ध लड़ाई में सरकार का साथ देने संबंधी स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. बलबीर सिंह द्वारा की गई अपील पर राज्य के 42 नर्सिंग कॉलेज आगे आए हैं।
इस पहल का उद्देश्य समझौता ज्ञापन के माध्यम से निजी संस्थानों को अपने परिसर में ‘सब्सटांस यूज डिसऑर्डर ट्रीटमेंट सेंटर’ स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करके इलाज के बुनियादी ढांचे का विस्तार करना है।
स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह की अध्यक्षता में हुई वर्चुअल मीटिंग के दौरान भाग लेने वाले संस्थानों ने इस महत्वपूर्ण अभियान के तहत अपने पास उपलब्ध बेड मुहैया करवाने की इच्छा प्रकट की ताकि नशे करने वाले पीड़ितों को समाज की मुख्यधारा में लाने में मदद की जा सके। मीटिंग में प्राइवेट नर्सिंग कॉलेजों और उनसे संबद्ध अस्पतालों के साथ-साथ प्राइवेट अस्पतालों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। मीटिंग में प्रमुख सचिव स्वास्थ्य कुमार राहुल, नशा विरोधी अभियान के सचिव स्वास्थ्य-सह-नोडल अधिकारी बसंत गर्ग, निदेशक स्वास्थ्य डॉ. हितिंदर कौर और सहायक निदेशक मानसिक स्वास्थ्य डॉ. संदीप भोला भी शामिल हुए।
इस मिशन के तहत निजी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों द्वारा स्वेच्छा से 1200 से अधिक बेड मुहैया करवाने संबंधी की गई पेशकश का जिक्र करते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने ऐसी अन्य संस्थाओं को भी अपने केंद्रों में नशा मुक्ति इलाज सुविधाओं को बढ़ाकर पंजाब सरकार की नशों के विरुद्ध लड़ाई के लिए आह्वान किया।
पंजाब सरकार ने मिशन में शामिल होने के इच्छुक संस्थानों के लिए आकर्षक सहायता प्रणाली का प्रस्ताव भी रखा है। योग्य संस्थानों को प्रति बेड 20,000 रुपये (जिला नशा मुक्ति एवं पुनर्वास सोसाइटी द्वारा सत्यापन के अधीन) तक की बुनियादी ढांचे के लिए एक बार सहायता मिलेगी। इसके अलावा, डीडीआरएस द्वारा सत्यापन करने के बाद मरीजों के आवास के आधार पर प्रति दिन 1,500 रुपये प्रति बेड संचालन लागत दी जाएगी।
डॉ. बलबीर सिंह ने कहा कि यह सार्वजनिक-निजी भागीदारी मॉडल बिना किसी वित्तीय बाधा के गुणवत्ता वाली नशा मुक्ति सेवाओं को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचना सुनिश्चित करता है। उन्होंने आगे कहा कि पंजाब में इस समय नशा मुक्ति बेडों (दोनों सरकारी और निजी) की संख्या सीमित है, इसलिए राज्य को नशों के विरुद्ध चल रहे अभियान के दौरान जरूरतमंद व्यक्तियों के लिए तुरंत और अधिक सुविधाओं की आवश्यकता है।
मुख्य जिम्मेदारियों को उजागर करते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि भागीदार संस्थानों को मानक इलाज केंद्र स्थापित करने की आवश्यकता होगी जिनमें एयर-कंडीशंड वार्ड, फंक्शनल टॉयलेट, आरओ पानी, काउंसलिंग रूम, मल्टीपर्पज हॉल और मेडिकल उपकरणों के अलावा पौष्टिक और स्वस्थ भोजन और योग्य पेशेवर, जिनमें डॉक्टर, सलाहकार और सहायक स्टाफ शामिल हैं, के साथ हर समय स्टाफ की नियुक्ति सुनिश्चित की जानी चाहिए।
डॉ. बलबीर सिंह ने कहा कि पंजाब सरकार अस्थायी लाइसेंस और नियामक अनुमतियां जारी करने के लिए अनुमोदन प्रक्रिया को और तेज कर रही है और अभियान ब्रांडिंग के लिए अधिकृत सरकारी लोगो के उपयोग की सहमति दी जाएगी।
मुख्यमंत्री भगवंत मान के राज्य को "रंगला पंजाब" बनाने के दृष्टिकोण को दोहराते हुए डॉ. बलबीर सिंह ने कहा कि नर्सिंग कॉलेज नशा पीड़ितों के पुनर्वास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य देखभाल में नर्सिंग कॉलेजों की विशेषज्ञता इस लड़ाई में उन्हें विशेष सहयोगी बनाती है और अपील की कि आइए हम मिलकर इस दलदल में फंसे लोगों और उनके परिवारों के जीवन को खुशहाल करें।
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