पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय के पूर्वोत्तर प्रकोष्ठ द्वारा कुलपति प्रो. राघवेन्द्र प्रसाद तिवारी तथा सम कुलपति प्रो. किरण हजारिका के संरक्षण में विशेष व्याख्यान का आयोजन हुआ, जिसमें मिज़ोरम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दिबाकर चंद्र डेका मुख्य अतिथि के रूप में सम्मिलित हुए।
खबर खास, बठिंडा :
पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय के पूर्वोत्तर प्रकोष्ठ द्वारा कुलपति प्रो. राघवेन्द्र प्रसाद तिवारी तथा सम कुलपति प्रो. किरण हजारिका के संरक्षण में विशेष व्याख्यान का आयोजन हुआ, जिसमें मिज़ोरम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दिबाकर चंद्र डेका मुख्य अतिथि के रूप में सम्मिलित हुए।
अपने संबोधन में प्रो. डेका ने पूर्वोत्तर भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत पर प्रकाश डाला। उन्होंने क्षेत्र की भाषाई विविधता, पारंपरिक परिधान, भोजन संस्कृति और जीवनशैली का उल्लेख करते हुए पूर्वोत्तर की सांस्कृतिक विविधताओं को रेखांकित किया। उन्होंने प्रतिभागियों से पूर्वोत्तर भारत की यात्रा कर वहां की संस्कृति को प्रत्यक्ष रूप से अनुभव करने का आग्रह किया। उनका यह संदेश कि 'सांस्कृतिक समझ केवल पुस्तकों से नहीं, बल्कि प्रत्यक्ष अनुभव व संवाद से विकसित होती है'—श्रोताओं के बीच गहराई से गूंजा।
प्रो. किरण हजारिका ने भी सभा को संबोधित करते हुए पूर्वोत्तर की सांस्कृतिक विविधता और देश निर्माण में उसकी महत्त्वपूर्ण भूमिका की सराहना की। उन्होंने रेल और हवाई यातायात के माध्यम से क्षेत्र की बढ़ती कनेक्टिविटी को राष्ट्रीय एकता और आपसी समझ को बढ़ावा देने वाला कारक बताया।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में माननीय कुलपति प्रो. राघवेन्द्र प्रसाद तिवारी ने पूर्वोत्तर, विशेषकर मिज़ोरम से अपने व्यक्तिगत और भावनात्मक जुड़ाव को साझा किया, जहाँ उन्होंने तीन दशकों से अधिक का समय व्यतीत किया। उन्होंने इस क्षेत्र के लोगों की ईमानदारी, विनम्रता और पर्यावरण के प्रति सजगता की सराहना की और श्रोताओं से इन मूल्यों को अपने जीवन में आत्मसात करने का आह्वान किया। उनके शब्दों ने कार्यक्रम को एक आत्मीय और भावनात्मक आयाम प्रदान किया।
कार्यक्रम में सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने भी रंग जमाया। समाजशास्त्र विभाग की ह्रिसिता बोराह ने आकर्षक बिहू नृत्य प्रस्तुत किया, जिसके पश्चात भूगोल विभाग की निंगथौजम तानिया देवी ने मोहक मणिपुरी नृत्य की प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम की शुरुआत डीन छात्र कल्याण प्रो. संजीव ठाकुर के स्वागत भाषण से हुई। इसके पश्चात डॉ. एल.टी. सासंग गुइटे ने विश्वविद्यालय में पूर्वोत्तर फ्रेटरनिटी की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए इसे क्षेत्रीय छात्रों के लिए एक सांस्कृतिक एवं भावनात्मक सहारा बताया और इसे देश के विभिन्न हिस्सों से आए विद्यार्थियों के बीच संवाद एवं मैत्री का सेतु बताया। डॉ. रेबेका देबबर्मा ने कार्यक्रम का संचालन किया तथा डॉ. एच. नाकिबापर जोन्स शांगपलियांग ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। इस कार्यक्रम में विभिन्न विभागों के संकाय सदस्यों, कर्मचारियों एवं छात्रों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
Comments 0