पंजाब मंडी बोर्ड के चेयरमैन हरचंद सिंह बरसट ने कहा कि भारत सरकार द्वारा नेशनल पालिसी फ्रेम वर्क आफ एग्रीकल्चर मार्किटिंग के बारे में टिप्पणियों और सुझाव लेने के लिए विभिन्न सरकारों को जो ड्राफ्ट भेजा गया था, पंजाब सरकार द्वारा सभी सुझाव और ड्राफ्ट को रद्द किया जाता है।
पंजाब मंडी बोर्ड के चेयरमैन ने कहा - एग्रीकल्चर राज्यों का अधिकार, केंद्र सरकार न दे दखल
रूरल डेवलपमेंट फंड तुरंत जारी किया जाए
खबर खास, मोहाली :
पंजाब मंडी बोर्ड के चेयरमैन हरचंद सिंह बरसट ने कहा कि भारत सरकार द्वारा नेशनल पालिसी फ्रेम वर्क आफ एग्रीकल्चर मार्किटिंग के बारे में टिप्पणियों और सुझाव लेने के लिए विभिन्न सरकारों को जो ड्राफ्ट भेजा गया था, पंजाब सरकार द्वारा सभी सुझाव और ड्राफ्ट को रद्द किया जाता है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा भेजा यह ड्राफ्ट राज्य सरकारों के अधिकारों पर सीधा हमला है।
बरसट ने कहा कि एग्रीकल्चर स्पष्ट रूप से राज्य सरकारों का अधिकार है। इसलिए केंद्र सरकार को इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार द्वारा इस ड्राफ्ट को रद्द करने के कुछ जन-हितैषी कारण हैं। क्योंकि फलों और सब्ज़ियों का आढ़ती कमीशन जो 5 प्रतिशत है, केंद्र सरकार इसे घटाकर 4 प्रतिशत पर कैप लगाना चाहती है। इसी प्रकार केंद्र सरकार अन्य उत्पादों पर भी आढ़तियों का कमीशन 2.5 प्रतिशत से घटाकर 2 प्रतिशत करना चाहती है, जो कि आढ़तियों के काम पर बहुत असर डालेगा, क्योंकि इन चीज़ों की देखभाल करना और खरीद-बिक्री में योगदान देना आढ़तियों की ही जिम्मेदारी होती है। इसी तरह केंद्र सरकार द्वारा मार्किट फीस को भी घटाने का प्रस्ताव भेजा गया है, उत्पादों पर 3 प्रतिशत से 2 प्रतिशत पर कैप लगाना चाहते हैं और फलों व सब्ज़ियों पर 1 प्रतिशत करना चाहते हैं।
उन्होंने बताया कि पंजाब में लगभग 28 हजार आढ़ती और करीब 15 लाख किसान हैं। पंजाब के आढ़तियों को लगभग 1650 करोड़ रुपये आढ़त के रूप में आते हैं, जोकि प्रति किसान लगभग एक हजार रुपये ही बैठता है। उन्होंने आगे यह भी बताया कि पंजाब के आढ़तियों द्वारा किसानों को दी जाने वाली सुविधाओं और किसानों के उत्पादन के मंडीकरण में की जाने वाली सहायता के बदले यह राशि बहुत मामूली है।
उन्होंने कहा कि इसी प्रकार केंद्र सरकार ग्रामीण विकास फंड (आर.डी.एफ.) को जो कि उत्पादों पर 3 प्रतिशत और फलों एवं सब्ज़ियों पर 1 प्रतिशत है, को पूरी तरह से खत्म करना चाहती है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार तो मंडियों की देखभाल और संभाल भी मुश्किल हो जाएगी। सबसे बड़ी बात यह है कि राज्य में मंडियों को जोड़ने वाली 64,878 किलोमीटर लंबाई की लिंक सड़कें हैं, उनकी रिपेयर और देखभाल भी मुश्किल हो जाएगा।
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