' देश की लोकसभा और विभिन्न राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने से न केवल बार-बार चुनावों के आयोजन की प्रक्रिया में जाया होने वाले समय और संसाधनों की बचत होगी बल्कि यह शासन की दक्षता को बढ़ाने के साथ-साथ देश की आर्थिक स्थिरता को भी बढ़ावा देगा।'
कहा, देश की आर्थिक स्थिरता को मिलेगा बढ़ावा
खबर खास, बठिंडा :
' देश की लोकसभा और विभिन्न राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने से न केवल बार-बार चुनावों के आयोजन की प्रक्रिया में जाया होने वाले समय और संसाधनों की बचत होगी बल्कि यह शासन की दक्षता को बढ़ाने के साथ-साथ देश की आर्थिक स्थिरता को भी बढ़ावा देगा।' यह कहना है लोकसभा सांसद अनुराग ठाकुर का। ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विषय पर पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय में आयोजित एक विशेष व्याख्यान के दौरान उन्होंने यह विचार व्यक्त किए।
अनुराग ठाकुर ने सभागार को संबोधित करते हुए कहा कि स्वतंत्रता के बाद भारत में प्रारंभिक रूप से समकालिक चुनाव प्रणाली लागू थी। हालांकि समय के साथ कुछ लोकसभा और विधानसभा कार्यकाल समय से पहले समाप्त होने के कारण यह प्रणाली बाधित हो गई। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के नेतृत्व में गठित एक उच्च-स्तरीय समिति ने देश में एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का प्रस्ताव रखा है जिसमें सिफारिश की गई है कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ या तो एक ही दिन या एक विशिष्ट
समय सीमा के भीतर आयोजित किए जाएं। समिति द्वारा यह प्रस्ताव प्रशासकों, विधिवेत्ताओं, राजनीतिज्ञों और चुनाव आयोग के अधिकारियों की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। यह पहल चुनावी प्रक्रिया को व्यवस्थित करने, चुनावों के कारण होने वाली बाधाओं को कम करने और संसाधनों के प्रभावी उपयोग को सुनिश्चित करने का प्रयास है।
ठाकुर ने आगे कहा कि लोकसभा चुनाव हर पांच साल में होते हैं, लेकिन इसके अतिरिक्त विभिन्न राज्यों में विधानसभा और नगर निगम चुनावों के आयोजन में राजनीतिक दलों, नेताओं, नौकरशाहों, शिक्षकों, कर्मचारियों और चुनाव आयोग को अत्यधिक समय और प्रयास लगाना पड़ता है। इससे न केवल संसाधनों की खपत होती है बल्कि अनावश्यक खर्च भी बढ़ता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने
‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विधेयक संसद में पेश किया है ताकि पूरे देश में विभिन्न चुनावों की कार्य प्रक्रिया को एक साथ संचालित/समन्वित किया जा सके। सदन में चर्चा के बाद इस विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजा गया है। जेपीसी के सदस्य के रूप में, उन्होंने यह राय व्यक्त की कि यह विधेयक भारत में शासन प्रणाली में सुधार लाने की क्षमता रखता है, जिससे नीतिगत गतिरोध को रोका जा सकेगा, संसाधनों का पुनर्निर्देशन कम होगा और सरकार पर आर्थिक बोझ कम होगा।
ठाकुर ने यह भी बताया कि जीएसटी जैसी नवाचारी पहलों ने न केवल कर संग्रह में वृद्धि की है बल्कि नागरिकों को भी लाभ पहुंचाया है, जिसके परिणाम स्वरुप 12 लाख रुपये तक की आय वाले करदाताओं पर कर में छूट प्रदान की जा सकी है। इसी तरह ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पहल आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगी, जिससे नेता और प्रशासक पूरी तरह से जनकल्याण पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगे। उन्होंने यह भी बताया कि चुनाव आयोग
वर्तमान में विभिन्न राज्यों में लोकसभा, विधानसभा और नगर निगम चुनावों के आयोजन पर पांच वर्षों में लगभग 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च करता है।
अपने अध्यक्षीय उद्बबोधन में केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राघवेंद्र प्रसाद तिवारी ने मुख्य अतिथि और आमंत्रित वक्ता अनुराग ठाकुर का आभार व्यक्त किया और कहा कि यह व्याख्यान छात्रों की चुनाव सुधारों की समझ को समृद्ध करेगा। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी स्मार्ट निर्णय लेने का युग है और प्रधानमंत्री के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने शिक्षा प्रणाली में बदलाव लाने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी-2020) लागू की है।
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