सत्र में भारतीय पेटेंट एजेंट और आरएएस इंटेलेक्चुअल सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड, मोहाली की निदेशक और सीईओ डॉ. रुचि सिंगला आमंत्रित वक्ता के रूप में उपस्थित रहीं। इस संगोष्ठी में 200 से अधिक विद्यार्थियों और शोधार्थियों ने भाग लिया।
सत्र में भारतीय पेटेंट एजेंट और आरएएस इंटेलेक्चुअल सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड, मोहाली की निदेशक और सीईओ डॉ. रुचि सिंगला आमंत्रित वक्ता के रूप में उपस्थित रहीं। इस संगोष्ठी में 200 से अधिक विद्यार्थियों और शोधार्थियों ने भाग लिया।
खबर खास, बठिंडा:
पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय के के इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी मैनेजमेंट एंड कमर्शियलाइज़ेशन सेल (आईपीएमसीसी), इंस्टिट्यूशंस इनोवेशन काउंसिल (आईआईसी) और इंटरनेशनल रिलेशंस सेल (आईआरसी) ने "बौद्धिक संपदा अधिकारों (आईपीआर) की मूल बातें और नवाचारकों और उद्यमियों के लिए इसका महत्व" विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया।
सत्र में भारतीय पेटेंट एजेंट और आरएएस इंटेलेक्चुअल सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड, मोहाली की निदेशक और सीईओ डॉ. रुचि सिंगला आमंत्रित वक्ता के रूप में उपस्थित रहीं। इस संगोष्ठी में 200 से अधिक विद्यार्थियों और शोधार्थियों ने भाग लिया।
कार्यक्रम की शुरुआत प्रो. राज कुमार, प्रभारी, नवाचार और नेतृत्व केंद्र, के स्वागत भाषण के साथ हुई। तदुपरांत अनुसंधान और विकास निदेशक प्रो. अंजना मुंशी ने आज की ज्ञान-आधारित अर्थव्यवस्था में आईपीआर के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अनुसंधान, रचनात्मकता और निष्पक्ष मान्यता के लिए नवाचारों की सुरक्षा आवश्यक है।
अपने संबोधन में डॉ. रुचि सिंगला ने पेटेंट फाइलिंग, आईपी रणनीति और उद्यमिता में अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने स्टार्टअप्स और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों के लिए आईपीआर की उपयोगिता पर चर्चा करते हुए बिसलेरी बनाम एक्वापेया और नेक्सावर बनाम नैटको जैसे उदाहरणों के माध्यम से बौद्धिक संपदा के व्यावहारिक पहलुओं को स्पष्ट किया। साथ ही उन्होंने स्टार्टअप इंडिया इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी प्रोटेक्शन (एसआईपीपी) स्कीम के अंतर्गत स्टार्टअप्स को कम लागत पर पेटेंट फाइलिंग और आईपी रणनीति संबंधी मार्गदर्शन की जानकारी भी दी।
इस अवसर पर आईक्यूएसी निदेशक और आईआईसी की अध्यक्षा प्रो. मोनिशा धीमान ने प्रतिभागियों को आईआईसी और आईपीएमसीसी के बारे में जानकारी दी। कार्यक्रम का समापन डॉ. प्रीति खेतरपाल, ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी, द्वारा धन्यवाद ज्ञापन से हुआ। यह सेमिनार विद्यार्थियों, शोधकर्ताओं और उद्यमियों के लिए अत्यंत उपयोगी साबित हुआ, जिसमें उन्होंने आईपीआर की मूल बातें समझीं और नवाचारों को प्रभावी ढंग से संरक्षित व उपयोग करने के व्यावहारिक उपाय सीखे।
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