पंजाब की राजनीति में अहम स्थान रखने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री, पूर्व राज्य सभा सदस्य और वरिष्ठ अकाली नेता सुखदेव सिंह ढींडसा का बुधवार को 90 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वह 90 वर्ष के थे। उन्होंने मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में आखिरी सांस ली।
पंजाब की राजनीति में अहम स्थान रखने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री, पूर्व राज्य सभा सदस्य और वरिष्ठ अकाली नेता सुखदेव सिंह ढींडसा का बुधवार को 90 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वह 90 वर्ष के थे। उन्होंने मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में आखिरी सांस ली।
खबर खास, चंडीगढ़ / मोहाली :
पंजाब की राजनीति में अहम स्थान रखने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री, पूर्व राज्य सभा सदस्य और वरिष्ठ अकाली नेता सुखदेव सिंह ढींडसा का बुधवार को 90 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वह 90 वर्ष के थे। उन्होंने मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में आखिरी सांस ली।
नौ अप्रैल को जन्में ढींडसा शिरोमणि अकाली दल (संयुक्त) के पूर्व अध्यक्ष थे , जिसका गठन शिरोमणि अकाली दल (डेमोक्रेटिक) और शिरोमणि अकाली दल (टकसाली) के विलय से हुआ था, जिसका नेतृत्व क्रमशः उनके और रंजीत सिंह ब्रह्मपुरा ने किया था । वे मार्च 2024 में अपनी पार्टी का फिर से शिरोमणि अकाली दल में विलय करके वापस आ गए। वह 2000 से 2004 तक वाजपेयी मंत्रालय में केंद्रीय खेल और रसायन और उर्वरक मंत्री थे। वह 1998 से 2004 तक राज्यसभा के सदस्य थे ।
ढींडसा को पद्म भूषण से सम्मानित किया गया है । लेकिन उन्होंने दिसंबर 2020 में किसान विरोध के दौरान इसे वापस कर दिया था। उनके बेटे परमिंदर सिंह ढींडसा 2012 से 2017 तक पंजाब के वित्त मंत्री रह चुके हैं।
ढींडसा ने अपनी राजनीतिक यात्रा सरकारी रणबीर कॉलेज संगरूर में स्नातक स्तर के दौरान एक सक्रिय छात्र नेता के रूप में शुरू की। वह रणबीर कॉलेज छात्र परिषद के पहले निर्वाचित सचिव थे और बाद में परिषद के अध्यक्ष के रूप में भी चुने गए। स्नातक होने के बाद वह संगरूर जिले में अपने पैतृक गांव उभावाल के सरपंच (पूरे जिले में सबसे कम उम्र के) चुने गए। निर्वाचित सरपंचों में से वह ब्लॉक समिति संगरूर के अध्यक्ष बने। बाद में उन्हें जिला सहकारी बैंक, संगरूर के प्रबंध निदेशक के रूप में चुना गया।
संत हरचंद सिंह लोंगोवाल के मार्गदर्शन में ज्वाइन की थी शिअद
1972 में ढींडसा ने एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में धनौला विधानसभा क्षेत्र की सीट जीती और बाद में संत हरचंद सिंह लोंगोवाल के मार्गदर्शन और प्रेरणा के तहत शिरोमणि अकाली दल में शामिल हो गए। वह फिर से शिरोमणि अकाली दल की टिकट पर सुनाम से विधायक चुने गए और परिवहन, खेल, पर्यटन, सांस्कृतिक मामले और नागरिक उड्डयन विभागों को संभालने के लिए राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के रूप में शामिल किए गए। बाद में 1986 में ऑपरेशन ब्लैक थंडर के मुद्दे पर सुरजीत सिंह बरनाला की सरकार में मतभेद पैदा हो गए और ढींडसा ने ऑपरेशन ब्लैक थंडर के प्रतिशोध में प्रकाश सिंह बादल के गुट के साथ जाने का फैसला किया।
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