जैव प्रौद्योगिकी विभाग के मिशन ऑन रेयर जेनेटिक डिसऑर्डर्स इन चिल्ड्रेन के अंतर्गत कार्यक्रम था आयोजित
जैव प्रौद्योगिकी विभाग के मिशन ऑन रेयर जेनेटिक डिसऑर्डर्स इन चिल्ड्रेन के अंतर्गत कार्यक्रम था आयोजित
खबर खास, बठिंडा :
पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय, बठिंडा ने जैव प्रौद्योगिकी विभाग के मिशन ऑन रेयर जेनेटिक डिसऑर्डर्स इन चिल्ड्रेन के अंतर्गत “मल्टी-ओमिक्स टू थेरेप्यूटिक्स: दुर्लभ बाल चिकित्सा विकारों के लिए एक रोडमैप” विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का सफल आयोजन किया।
इसमें सीयू पंजाब, एम्स बठिंडा, जीएनडीयू, एलपीयू, बीएचयू और एआईएमएसईआर सहित देश के प्रतिष्ठित संस्थानों से लगभग 80 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। सम्मेलन ने जीनोमिक्स, प्रोटिओमिक्स और मेटाबोलोमिक्स जैसी मल्टीओमिक्स तकनीकों में नवीनतम प्रगति तथा दुर्लभ बाल चिकित्सा रोगों के समाधान में उनके उपयोग पर चर्चा के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान किया।
उद्घाटन सत्र में सीयू पंजाब के कुलपति प्रो. राघवेंद्र प्रसाद तिवारी ने दुर्लभ रोग अनुसंधान में नवाचार और बहुविषयक दृष्टिकोण के महत्व पर बल दिया। मुख्य अतिथि, पंजाबी विश्वविद्यालय पटियाला के कुलपति प्रो. जगदीप सिंह ने समाज-केन्द्रित एवं सहयोगात्मक अनुसंधान की आवश्यकता रेखांकित की। विशिष्ट अतिथि, डीबीटी के वैज्ञानिक-एफ डॉ. मनोज सिंह रोहिल्ला ने इस क्षेत्र में सहयोगी प्रयासों के महत्व पर प्रकाश डाला।
सम्मेलन में आयोजित दो मुख्य व्याख्यानों में, डॉ. मोइनिक बनर्जी (वैज्ञानिक-जी, राजीव गांधी जैव प्रौद्योगिकी केंद्र, तिरुवनंतपुरम) ने “दुर्लभ रोग का जटिल मार्ग: आनुवंशिक और एपिजेनेटिक साक्ष्यों पर आधारित अंतर्दृष्टि” विषय पर विचार साझा किए, वहीं डॉ. अश्विन दलाल (प्रमुख, डायग्नोस्टिक्स, डीएनए फिंगरप्रिंटिंग एवं डायग्नोस्टिक्स केंद्र, हैदराबाद) ने “दुर्लभ रोगों में महत्वपूर्ण/नवीन जीनोमिक वेरिएंट का कार्यात्मक विश्लेषण” प्रस्तुत किया।
समापन सत्र में सम्मेलन समन्वयक एवं अनुसंधान एवं विकास निदेशक प्रो. अंजना मुंशी ने रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए बताया कि दो मुख्य व्याख्यानों के अतिरिक्त पाँच विषयगत सत्र आयोजित हुए, जिनमें 10 विशेषज्ञ व्याख्यान, 8 मौखिक और 24 पोस्टर प्रस्तुतियाँ शामिल थीं। इन सत्रों में नैदानिक केस अध्ययन, जीनोमिक दृष्टिकोण, दुर्लभ रोग प्रबंधन, टीकाकरण और नवाचार जैसे विषयों पर चर्चा हुई।
समापन सत्र में डीन इंचार्ज अकादमिक प्रो. रामकृष्ण वुसिरिका ने अंतर्विषयक एवं सहयोगी अनुसंधान की आवश्यकता पर बल देते हुए आयोजन समिति की सराहना की और युवा शोधकर्ताओं को पारंपरिक सीमाओं से आगे बढ़कर वास्तविक दुनिया के वैज्ञानिक समाधान खोजने के लिए प्रेरित किया। आईक्यूएसी निदेशक प्रो. मोनिशा धीमान ने भी नवोदित शोधकर्ताओं को नवाचार और वास्तविक जीवन के समाधान विकसित करने हेतु प्रोत्साहित किया।
सम्मेलन में युवा प्रतिभागियों में वैज्ञानिक संवाद को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से मौखिक और पोस्टर प्रस्तुति प्रतियोगिताएँ भी आयोजित की गईं। मौखिक प्रस्तुति श्रेणी में भार्गवी अनुह्या चीकटला ने प्रथम, अजय कुमार ने द्वितीय और आकाश गुप्ता ने तृतीय पुरस्कार प्राप्त किया। पोस्टर प्रस्तुति श्रेणी में मधु एस. गद्दीगौदर ने प्रथम, देबीबंदिता राउत ने द्वितीय तथा अपर्णा बिस्वास और पेरियासामी आर. ने संयुक्त रूप से तृतीय पुरस्कार जीता।
आमंत्रित वक्ताओं के रूप में सम्मेलन को समृद्ध बनाने वाले प्रतिष्ठित विशेषज्ञों में डॉ. शशि कांत धीर (जीजीएसएमसी, फरीदकोट), डॉ. अरविंदर वांडर (एम्स, बठिंडा), डॉ. उषा आर. दत्ता (सीडीएफडी, हैदराबाद), डॉ. अनुप्रिया कौर (पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़), डॉ. प्रधान छाबड़ा (एम्स, बठिंडा), डॉ. वैभव उपाध्याय (महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज, जयपुर), डॉ. जशन मित्तल (एआईएमएसईआर, बठिंडा), डॉ. शैफाली गुप्ता (पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़), डॉ. सतनाम सिंह (एआईएमएसईआर, बठिंडा) और डॉ. अक्षय नाग (सीयू पंजाब) शामिल थे।
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