हरियाणा में नशे के खिलाफ चलाया जाएगा व्यापक अभियान : मुख्य सचिव

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जिला उपायुक्त करेंगे शिक्षण संस्थानों के प्रमुखों के साथ नियमित बैठकें; अपराधियों से 48.34 करोड़ रुपये की आपराधिक आय जब्त

खबर खास, चंडीगढ़ :

हरियाणा के मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद ने आज सभी उपायुक्तों तथा पुलिस अधीक्षकों को राज्य में नशे की तस्करी में शामिल लोगों पर शिकंजा कसने के लिए एक महीने तक व्यापक अभियान चलाने के निर्देश दिए। आज यहां नार्को समन्वय केंद्र (एनसीओआरडी) की 8वीं राज्य स्तरीय समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए सीए ने इस अभियान की सफलता के लिए नागरिक एवं पुलिस प्रशासन तथा स्वास्थ्य, समाज कल्याण और शिक्षा विभागों के समन्वित प्रयासों का आह्वान किया।

सीएस प्रसाद ने निर्देश दिए कि सब डिविजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) अपने-अपने जिलों में नशा मुक्ति केंद्रों का औचक निरीक्षण करें। इसके अलावा, उन्होंने सभी हितधारक विभागों के साथ समन्वय बनाए रखने और नशीली दवाओं के खतरे के खिलाफ विभिन्न कार्यक्रमों का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए सामाजिक न्याय, अधिकारिता, अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग कल्याण और अंत्योदय (सेवा) विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक कार्य समूह बनाने की भी घोषणा की।

बैठक में बताया गया कि वर्ष 2024 के पहले छह महीनों के दौरान एनडीपीएस एक्ट के तहत 1653 मामले दर्ज किए गए हैं और 2196 व्यक्ति गिरफ्तार किए गए हैं। इसी प्रकार, वाणिज्यिक मात्रा के 164 मामले दर्ज किए गए हैं और 258 गिरफ्तार किए गए हैं। इसके अतिरिक्त, एनडीपीएस मामलों में 428 व्यक्तियों को दोषी ठहराया गया है और पीआईटी-एनडीपीएस एक्ट के तहत प्रिवेंटिव डिटेंशन के 8 आदेश पारित किए गए हैं। इसके अलावा, इस अवधि में 12 किलो हेरोइन, 69 किलो चरस, 3440 किलो गांजा, 130 किलो अफीम, 6616 किलो पॉपी स्ट्रॉ और 1,64,790 फार्मास्युटिकल ड्रग्स भी जब्त किए गए हैं। साथ ही, 102 आदतन अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करके 48.34 करोड़ रुपये मूल्य की आपराधिक आय जब्त की गई है

केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने हरियाणा के विभिन्न जिला अस्पतालों में 14 नशा उपचार सुविधाएं (ए.टी.एफ.) स्थापित करने की मंजूरी दी है। इस योजना के तहत, इनमें से दो नशा उपचार सुविधाएं जिला झज्जर के बहादुरगढ़ और जिला फतेहाबाद के टोहाना में पहले ही स्थापित की जा चुकी हैं।

बैठक में यह भी बताया गया कि राज्य में 38 चिकित्सा अधिकारियों ने पी.जी.आई.एम.ई.आर. चंडीगढ़ के मनोचिकित्सा विभाग से छः महीने का ऑनलाइन नशा मुक्ति प्रशिक्षण कार्यक्रम पूरा कर लिया है जिससे प्रदेश में मनोचिकित्सकों की कमी को दूर करने में मदद मिलेगी। इसके अतिरिक्त, मानसिक स्वास्थ्य और नशामुक्ति सेवाओं को और मजबूती प्रदान करने के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर पर 148 परामर्शदाताओं/सामाजिक कार्यकर्ताओं की नियुक्ति का प्रस्ताव विचाराधीन है।

बैठक में बताया गया कि जागरूकता फैलाने के लिए जिला मानसिक स्वास्थ्य टीमों द्वारा स्कूला-कॉलेजों और जेलों के मासिक दौरे किए जा रहे हैं। व्यापक पहुंच और प्रभाव सुनिश्चित करने के लिए ड्रग एनोनिमस संगठनों को भी इन अभियानों में शामिल किया जा रहा है। जेल विभाग ने पिछले एक साल में मादक पदार्थों की मांग में कमी के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना (एन.ए.पी.डी.डी.आर.) के तहत प्रदेश की 15 जेलों में 15 नशामुक्ति केंद्रों की स्थापना और सफलतापूर्वक संचालन किया है। इन केंद्रों ने कैदियों में मादक पदार्थों की लत को दूर करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है।

फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (एफ.एस.एल.) और क्षेत्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं (आर.एफ.एस.एल.) में हरियाणा कौशल रोजगार निगम (एच.के.आर.एन.) के माध्यम से प्रयोगशाला सहायकों के 13 रिक्त पदों को भरा गया है। इसके अतिरिक्त, एच.के.आर.एन. के माध्यम से वरिष्ठ वैज्ञानिक सहायकों और वैज्ञानिक सहायकों के 87 पदों के लिए विज्ञापन दिया गया है, जिसकी भर्ती प्रक्रिया जारी है। विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुल 70 विद्यार्थी एफ.एस.एल./आर.एफ.एस.एल. में छः महीने तक की इंटर्नशिप कर रहे हैं। सरकार का कुरुक्षेत्र में के-9 प्रजनन-सह-प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करने का भी प्रस्ताव है।

नशीली दवाओं से संबंधित मामलों का प्रभावी अभियोजन सुनिश्चित करने के लिए, वाणिज्यिक मात्रा से जुड़े एन.डी.पी.एस. एक्ट के तहत दर्ज मामलों को ‘चिह्नित अपराध’ के रूप में वर्गीकृत किया गया है। सभी जिलों और कमिश्नरियों में सजा सुनिश्चित करने के लिए डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी (डीए) ऐसे मामलों की सुनवाई की निगरानी कर रहे हैं।

राज्य में नशा मुक्ति केंद्रों के लिए एक सावधि रेटिंग प्रणाली विकसित करने के लिए एक समिति का गठन किया गया है। रेटिंग प्रणाली तैयार कर ली गई है, जिसकी स्वीकृति मिलनी बाकी है। प्रत्येक नशा मुक्ति केंद्र में मनोचिकित्सकों की नियुक्ति सुनिश्चित करने के लिए एक एस.ओ.पी. तैयार कर स्वास्थ्य विभाग को भेज दी गई है।

 

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